कहानी लंदन से जब बेचा जाता था समय
समय बहुत कीमती होता है, हर एक मिनट की कीमत होती है और हो भी क्यों नहीं बीता हुआ समय वापस नहीं आता है। एक आम इंसान के जीवन को हमेशा से उसके अनुशाषित होने से तौला गया है और उसमे भी सबसे पहले ये देखा जाता है की वो समय का कितना पाबंद है। समय को लेकर तो अंग्रेजी में ये तक कह दिया गया की “TIME IS MONEY” यानी समय पैसा है। बात बिल कुल सच है, इसी समय से कई घरो के चूल्हे जलते आ रहे हैं।
आज हम उस समय की बात करेंगे जब लंदन में समय बेचने का व्यापार बड़े धड़ल्ले से चलता था, जी हाँ आपने सही सुना “समय को बेचा जाता था” और इसके जनक थे जॉन हेनरी बेलविल, लंदन के निवासी थे जिन्होंने सन 1836 में एक सर्विस चालू की और लंदन के करीब 200 ग्राहकों को समय बेचते थे, समय बेचने का मतलब है वो उन्हें जाकर समय बताते थे। हेनरी प्रतिदिन सुबह लंदन की ग्रीनविच रॉयल ऑब्जर्वेटरी जाते थे वहां से अपनी घडी में सही समय सेट करते थे और फिर अपने ग्राहकों के घर जाकर वे उनकी घडियो को सही समय पे सेट करते थे। जैसे आज सबके घरो में घडी है, बैटरी से चलने वाली घडी आज के दिन में बहुत ही ज़्यादा प्रचलित है पर उस समय की घड़ियाँ मैकेनिकल होती थी, चाबी से भर के चलाई जाती थी, और इसीलिए प्रतिदिन हेनरी अपने घ्रहको के घर जाकर उनकी घड़ियाँ सही करते थे और समय बेचा करते थे।
यह भी पढ़ें: ‘आल हालोस बाय द टावर’ है लंदन का सबसे पुराना चर्च, सन 675 में रखी गई थी नींव
ग्रीनविच रॉयल ऑब्जर्वेटरी से रिकॉर्ड करते थे समय
अब बात आती है की हेनरी तो अपनी घडी के हिसाब से समय एडजस्ट कर के अपने ग्राहकों को बेचा करते थे पर उन्हें कहा से समय का अंदाज़ होता था? जवाब है ग्रीनविच रॉयल ऑब्जर्वेटरी, लंदन में स्थित इस पार्क की ऑब्जर्वेटरी से एक समय दुनिया भर का समय नापा जाता था, ऑब्जर्वेटरी से “PRIME MERIDIAN ” लाइन गुज़रती है , ये जीरो डिग्री रेखा पृथिवी को एकदम बीच से पश्चिम और पूर्व में बाँट देती है, जैसे अफ्रीका से गुजरने वाली इक्वेटर रेखा पृथवी को उत्तर और दक्षिण से बाँट देती है।
ग्रीनविच रॉयल ऑब्जर्वेटरी से गुजरने वाली प्राइम मेरीडियन से ही कई सालो तक दुनिया भर के टाइम ज़ोन्स का रेफेरेंस लिया गया है। आज लगभग हर जगह का समय इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड टाइम से सही किया जाता है , पर जिस तरह से ब्रिटिश शाषन पूरी दुनिया पे राज करता था, उस समय रेलवेज का समय ग्रीनविच मीन टाइम से ही सेट किया जाता था।
यह भी पढ़ें: London Diary: पत्रकारों को समर्पित है ये भगवान का घर…….
ग्रीनविच टाइम लेडी ने फिर संभाली कमान
1856 में हेनरी की मौत के बाद उनका समय बेचने का काम उनकी पत्नी मारिया एलिज़ाबेथ और बेटी रुथ बेलविल ने काम संभाला। हेनरी की पत्नी मारिया ने 1892 तक काम संभाला और फिर उनकी बेटी रुथ ने, रुथ हर दिन सुबह 9 बजे ग्रीनविच पहुंच कर अपने पिता की घडी में समय सही कर के प्रतिदिन 12 मिल चल कर लोगो को समय बीचा करती थी। हेनरी की घडी एक ख़ास घडी थी, जॉन अर्नोल्ड पॉकेट क्रोनोमीटर नंबर 485/786 थी, जिसका उपनाम “अर्नोल्ड” था। इसे मूल रूप से ड्यूक ऑफ ससेक्स के लिए बनाया गया था और इसमें सोने का कवच था। जब यह जॉन हेनरी को दिया गया, तो उन्होंने कवच को चांदी में बदल दिया क्योंकि उन्हें चिंता थी कि चोर सोने की घड़ी चुरा सकते है।
आधुनिकता से मिली प्रतिद्वंद्विता
जैसे जैसे आधुनिकता बढ़ी, वैसे वैसे ग्रीनविच टाइम लेडी के काम में अड़चने आना शुरू हुई। बेल्विल का व्यवसाय स्टैण्डर्ड टाइम कंपनी के एक निदेशक सेंट जॉन वाईन के हमले में आ गया, जिसने एक टेलीग्राफिक टाइम सिग्नल सेवा बेची और इसलिए, बेलविल का मुख्य प्रतियोगी था। वाईन ने सिटी यूनाइटेड वार्ड्स क्लब में बेलविल पर हमला करते हुए एक भाषण दिया, जिसमें दावा किया गया, “कि उसके तरीके रूप से पुराने थे,” उन्होंने यह भी निहित किया कि वह “व्यापार हासिल करने के लिए अपनी स्त्रीत्व का उपयोग कर रही होगी।
भाषण द टाइम्स अखबार में प्रकाशित हुआ था, लेकिन लेख में स्टैंडर्ड टाइम कंपनी और इस तथ्य का उल्लेख नहीं था कि वह बेलविल के प्रतियोगी थे। टिप्पणियों के प्रकाशन के बाद, बेलविल को उनके व्यवसाय में रुचि रखने वाले पत्रकारों ने लिया गया था, जो कि वाइन की टिप्पणियों से निहित था। हालांकि, बेलविल सामना करने में कामयाब रहीं, और परिणामी प्रचार के परिणामस्वरूप बिक्री में वृद्धि हुई।
[better-ads type=”banner” banner=”100781″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]