हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ा है डोकलाम सीमा विवाद

0

देश के सिरमौर प्रांत जम्मू एवं कश्मीर तथा पूर्वोत्तर में भूटान के डोकलाम से लगी चीन की सीमा से आ रही तकरार की खबरें केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार की नीतियों और कार्रवाई का नतीजा हो भी सकती हैं, और नहीं भी।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यह चेतावनी जैसी होनी चाहिए, जो ऊपर से तो देश की अंदरूनी और बाह्य सुरक्षा के लिए स्पष्टत: खतरा नजर आती है, लेकिन वास्तव में यह देश की राजनीति में हिंदू राष्ट्रवाद की धाक जमाने के एजेंडे को ही पूरा करती है।

डोकलाम में ही चल रहे सीमा विवाद को लें। प्रत्यक्ष तौर पर तो यह भूटान के विवादित सीमा क्षेत्र में चीन द्वारा सड़क बनाए जाने से भारत के समक्ष खड़ी हुई अप्रत्याशित चुनौती नजर आती है।

चीन से सटे पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर तनाव की स्थिति वैसे तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन 1962 में चीन से युद्ध में मिली हार से भारत को जो मूल सबक मिला है, वह चीन को युद्ध के लिए न भड़काना है।

दूसरी ओर इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि डोकलाम सीमा पर भारत ने उकसाने वाला कोई काम नहीं किया, हां चीन की अति महत्वाकांक्षी बेल्ड एंड रोड परियोजना का हिस्सा बनने से जरूर इंकार किया, जिसे इस सीमा विवाद के पीछे मूल कारण के तौर पर देखा जा सकता है।

read more :  जानें, कुछ भी हो जाये नही गाएंगे वंदे मातरम्…

ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत में पनपी धार्मिक एवं राजनीतिक अस्थिरता के माहौल को देखते हुए चीन अपने चिर प्रतिद्वंद्वी भारत को पूर्वोत्तर के खूबसूरत पर्वतीय इलाके में शक्ति प्रदर्शन के लिए उकसा रहा है।

जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर और घाटी के अंदर भी सेना और अर्धसैनिक बलों को जिस तरह बढ़े हुए हिंसा के स्तर का सामना करना पड़ा है, उसे देखते हुए डोकलाम में 16 जून को भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोकने से काफी पहले चीन सीमा पर तनाव भड़काने को बेसब्र रहा होगा।

कुल मिलाकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की रणनीति क्या है, इसका अनुमान तो मुश्किल है, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि चीन को माहौल सैन्य कार्रवाई के अनुकूल लगा।

भारत के अंदर हिंदुत्ववादी एजेंडे पर चल रही सरकार, गोवध और गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा और मुख्यधारा की मीडिया से लेकर सोशल नेटवर्क पर इसे लेकर मचे हंगामे के बीच राजकीय और गैर-राजकीय तत्वों द्वारा लगातार खड़ी की गई समस्याओं से घिरे भारत के इस ताकतवर पड़ोसी देश को सीमा पर तनाव की स्थिति पैदा करने का अच्छा अवसर नजर आया।

अगर डोकलाम मुद्दा देश में राष्ट्रवाद की भावना को उकसाने में कामयाब होता है तो पूर्वोत्तर में पहचान की राजनीति और ध्रुवीकरण के शब्दाडंबर से हिंदुत्व राष्ट्रवादियों को और शक्ति मिलेगी, लेकिन साथ ही इससे राष्ट्र कमजोर होगा और सीमा पर जोखिम को भी बढ़ावा देने वाला होगा।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More