उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में यूपी पुलिस के आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। विकास की गिरफ्तारी के बाद उज्जैन कोर्ट की CJM तृप्ति पाण्डेय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए विकास की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की। जिसके बाद गैंगस्टर विकास दुबे को यूपी पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया।
पूछताछ में कई खुलासे
गैंगस्टर विकास दुबे से यूपी पुलिस की पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। पूछताछ में विकास ने कहा कि कहा कि घटना के बाद घर के ठीक बग़ल में कुएं के पास पाँच पुलिसवालों की लाशों को एक के ऊपर एक रखा गया था, जिससे उनमें आग लगा कर सबूत नष्ट कर दिए जाएं। आग लगाने के लिये घर में गैलनों में तेल रखा गया था। एक पचास लीटर के गैलन में भरे तेल से पुलिसवालों की लाशों को जलाने का इरादा था, लेकिन लाशें इकट्टठा करने के बाद उसे मौक़ा नहीं मिला। फिर वो फ़रार हो गया।
मामा के घर के आंगन में सीओ को मारा था- विकास
साथ ही विकास दुबे ने शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के बारे में बताया कि देवेंद्र मिश्रा से मेरी नहीं बनती थी। कई बार वो मुझे देख लेने की धमकी दे चुके थे। पहले भी बहस हो चुकी थी। विनय तिवारी ने यह भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ है। लिहाजा मुझे सीओ पर गुस्सा था। सीओ को सामने के मकान में मारा गया था। मैंने सीओ को नहीं मारा, लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ़ के आहाते से कूदकर मामा के मकान के आँगन में मारा था और पैर पर भी वार किया था, क्योंकि मुझे पता चला था कि वो बोलता है कि विकास का एक पैर गड़बड़ है। दूसरा भी सही कर दूँगा। सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गयी थी, इसलिये आधा चेहरा फट गया था।
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