लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से भारतीय और चीनी सैनिक दो किलोमीटर पीछे हट गए हैं। यहां पिछले महीने भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे।
शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष रविवार को दो किलोमीटर पीछे हट गए। 15 जून को हुई झड़प के बाद दोनों पक्षों में कई दौर की बातचीत हुई। कोर कमांडर की बैठकों में बनी सहमति के अनुसार भारतीय और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक पीछे हटे हैं।
बनाया गया ‘नो-मैन जोन’-
दोनों पक्षों के पीछे हटने के साथ, चार किलोमीटर के दायरे में ‘नो-मैन जोन’ बनाया गया है। इससे दोनों पक्ष इस दुर्गम इलाके में एक-दूसरे की तैनातियों को नहीं देख सकेंगे।
सूत्रों ने बताया कि विश्वास कायम करने के लिए जिस क्षेत्र से सैनिक पीछे हटे हैं, उसकी हवाई निगरानी नहीं करने पर भी सहमति बनी है। सेना के एक सूत्र ने कहा, “परिणामस्वरूप कोई पक्ष वास्तव में नहीं जान पाएगा कि दूसरा पक्ष क्या कर रहा है।”
भारतीय नौसेना के पी-8आई विमान को लद्दाख में ऊंची जगहों की निगरानी सेवा में लगाया गया था। पी-8आई ने सिक्किम के डोकलाम में 2017 के भारत-चीन गतिरोध के दौरान इसी तरह के निगरानी अभियान को अंजाम दिया था। सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर से टेंट और अन्य संरचनाएं हटा दी हैं।
यह भी पढ़ें: भारत-चीन तनाव : राहुल ने उठाएं सवाल, ‘अब चुप क्यों हैं PM’ !
यह भी पढ़ें: भारत-चीन तनाव के बीच अचानक लेह पहुंचे पीएम मोदी