रिटायर्ड शिक्षिका से 3.55 करोड़ की धोखाधड़ी में बैंककर्मी सहित 6 गिरफ्तार

वाराणसी की साइबर क्राइम पुलिस ने किया खुलासा

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13.63 लाख बरामद, 65 लाख खातों में सीज

वाराणसी के साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने जिले की सबसे बड़े साइबर ठगी के मामले का खुलासा किया है. रिटायर्ड शिक्षिका से हुई 3.55 करोड़ की यह धोखाधड़ी और किसी ने नहीं बल्कि दो सगे भाइयों ने अपने अंतरराज्‍यीय गिरोह के जरिये की थी. आरोपी दोनों भाई बैंककर्मी निकले. इनमें से एक आईसीआईसीआई बैंक लखनऊ का क्षेत्रीय प्रमुख तो दूसरा एडीएफसी बैं‍क में कैशियर है. पुलिस ने दोनों बैंककर्मियों सहित 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इनके पास से 13 लाख 63 हजार रुपये बरामद किए गए. साथ ही विभिन्‍न बैंक खातों में करीब 65 लाख रुपये सीज किए गए हैं.

बैंककर्मी भाइयों ने बनाया था अंतरराज्‍यीय गिरोह

डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीना ने बताया कि दोनों भाइयों ने मिलकर अंतरराज्‍यीय गिरोह बनाया और बैंक सहित साइबर की तकनीकी जानकारी रखने वाले दोस्‍तों को इसमें शामिल किया. इसके बाद लोगों के साथ साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने लगे. कोई बैंक के साक्ष्‍य मांगता तो वीडियोकाल कर खुद को बैंक में होना दिखा देता. गिरोह के साथ दोनों भाइयों ने कई वारदातों को अंजाम दिया. डीसीपी के मुताबिक, सिगरा थाना क्षेत्र के रथयात्रा के अमलतास अपार्टमेंट के रहने वाले अशोक रक्षित की पत्‍नी शंपा रक्षित मडौली स्थित एक मिशनरी स्‍कूल से रिटायर्ड शिक्षिका हैं.

विगत आठ मार्च को शंपा रक्षित के मोबाइल फोन पर सुबह नौ बजे अनजाम नंबर से कॉल आई. कॉलर ने खुद को टेलीकाम रेगुलेटरी अथॉर्टी का अधिकारी बता कर दो घंटे में फोन बंद होने का अल्‍टीमेटम दिया. इसके साथ यह भी बताया कि अभी आपके पास पुलिस की काल आएगी. कॉल कटने के कुछ ही मिनटों के बाद रिटायर्ड शिक्षिका के नंबर पर कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को महाराष्‍ट्र के विलेपार्ले पुलिस स्‍टेशन से इंस्‍पेक्‍टर विनय चौबे बताया और कहा कि उनका दूसरा मोबाइल नंबर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्‍त पाया गया है. रिटायर्ड शिक्षिका ने इसकी जानकारी से अनभिज्ञता जताई तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट होने की धमकी दी.

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डीसीपी ने बताया कि फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर बात करने वाले एक दूसरे सीनियर अधिकारी बताकर शिक्षिका से बात कराकर उन पर दबाव बढा रहे थे. इसी क्रम में आरोपियों ने शिक्षिका के पूरे परिवार और बैंक का पूरा ब्‍यौरा जुटा लिया. इसके साथ ही बैंक खातों की जांच का बहना बनाकर खाते के सारे रुपये आरबीआई में डालने और जांच के बाद उसे वापस करने का भरोसा दिया. यह भी कहा कि आपकी गिरफ्तारी नहीं होगी. इसके बाद कैश और एफडी तुड़वाकर दो खातों से 3.55 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई. इसकी जानकारी होने पर शिक्षिका ने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस की दो टीमें बनाकर लगातार कॉल डिटेल, लोकेशन और आरोपियों के कई म‍हीने का डाटा खंगाला. जांच में दो आरोपियों की लोकेशन यमुना विहार चिनहट, लखनऊ में मिली.

ऐसे हाथ लगे आरोपी

पुलिस ने लखनऊ के यमुना बिहार स्थित एक फ्लैट में छापेमारी की तो दो आरोपी गिरफ्तार किए गए. पूछताछ में जानकारी मिली कि दोनों सगे भाई हैं और बैंक में काम करते हैं.उनके मोबाइल की कॉल डिटेल सहित फोटो, वीडियो की जांच की गई तो साइबर ठगी से जुड़े कई सबूत हाथ लगे. दोनों ने मिलकर गिरोह बनायाऔर अपने दो रिश्‍तेदार और गुजारात के रहने वाले दो साइबर विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया. इनमें से चिनहट निवासी आरोपी सरफराज आलम आइसीआईसीआई बैंक लखनऊ का रीजनल हेड निकला. उसका भाई नुरुलहुदा एचडीएफसी बैंक में कैशियर है.

दोनों से पूछताछ के बाद पूरे प्रकरण का राज खुल गया. इसके बाद पुलिस ने इसकी कड़ी जोड़ते हुए दोनों भाइयों के रिश्‍तेदार इंदिरानगर निवासी तौफीक खान और आरिफ अहमद को दबोच लिया. साथ ही गुजरात के सूरत निवासी ओमअश्विन भाई गोयानी तथा नीरव बटुक को पुलिस टीम ने दूसरे ठिकानों से गिरफ्तार कर लिया.डीसीपी ने खुलासे में शामिल साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा और उनकी टीम की पीठ थपथपाई और 25 हजार रुपये का पुरस्‍कार भी घोषित किया.

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