‘हैकर्स को वायरस हमले से महज 70,000 डॉलर मिले?
क्या महज 70000 डालर पाने के लिए दुनिया भर के 150 देशों के तीन लाख कंप्यूटरों पर फिरौती वायरस से हमला किया गया? इस बारे में आश्चर्यजनक खबरें आ रही हैं। व्हाइट हाउस का कहना है कि फिरौती वायरस (रैनसमवेयर) ‘वानाक्रिप्ट’ के साइबर हमले से हैकर्स को 70,000 डॉलर से कम की धनराशि मिली है।
व्हाइट हाउस होमलैंड सिक्योरिटी के सलाहकार टॉम बोसर्ट ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘डेटा रिकवरी के लिए लोगों द्वारा किए गए भुगतान के बारे में हमें जानकारी नहीं हैं।’
बोसर्ट ने कहा कि ‘वानाक्राइ’ या ‘वानाक्रिप्ट’ वायरस से लगभग 150 देशों की 300,000 मशीनें प्रभावित हुईं, लेकिन अच्छी बात यह है कि इस सप्ताहांत तक इसका संक्रमण धीमा हो गया है।
ज्ञात हो कि इससे बचने के लिए विंडोज को अपडेट करने की सलाह दी गयी है। लेकिन अगर आपके कंप्यूटर में रैनसमवेयर पहुंच चुका है तो क्या करना चाहिए? विशेषज्ञों की सलाह थी कि अगर ऐसा होता है तो रैनसम यानी फिरौती की रकम न दें। इस रैनसमवेयर के जरिए फाइल अनलॉक करने के लिए 300 डॉलर की फिरौती मांगी जा रही थी। अपना डेटा फिर से हासिल करने के लिए कुछ लोगों को ये बड़ी रकम नहीं लगी होगी। तभी उन्होंने फिरौती की रकम दी होगी। रैनसम राशि बिटकॉइन के जरिए मांगी गयी थी। एक ट्विटर बॉट फिरौती की रकम बिटक्वॉइंस में लेने के लिए बनाए गए ई-वॉलेट्स को बराबर ट्रैक कर रहा था। शायद इसी से पता चला है कि सत्तर हजार डालर की रकम दी गयी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि साथ ही जिस तरीके से वानाक्राई को डिजाइन किया गया है, उसका दुखद पहलू ये है कि लोगों को अपनी फाइलें वापस पाने की संभावनाएं बहुत कम हैं, भले ही वो फिरौती की रकम का भुगतान कर दें। यही कारण होगा फिरौती की रकम इतनी नहीं हो पायी।
सिक्योरिटी कंपनी प्रूफप्वॉइंट के एक ब्लॉग में लिखे पोस्ट में सलाह दी है कि हो सकता है कि वानाक्राई कोडिंग में फाइलों को डिक्रिप्ट करने का कोड वास्तव में बनाया ही नहीं गया हो। यही सोचकर फिरौती की रकम के लिए लोग अधिक संख्या में नहीं आये होंगे।
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