सर्जिकल स्ट्राइक की वो रात, ऐसे हुए थे दुश्मन नेस्तनाबूत

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29 सितंबर 2016 की वो रात जब भारतीय कमांडो ने पाकिस्तान की सीमा में 2 से 4 किलोमीटर तक घुसकर दुश्मनों को मौत की नींद सुला दिया था। यह सब आसान नहीं था।

सेना के पैरा कमांडो के शूरवीर इस पूरे ऑपरेशन में अपने कंधों पर करीब 40 किलो का भार लादे हुए थे जिसमें 25 किलो गोलाबारूद था और 15 किलो जवान के लिए जरूरी सामान था।

खतरनाक थी परिस्थितियां-

इस ऑपरेशन को पूरा करने के लिए 72 घंटे का वक्त था और हर कमांडो को टारगेट अलॉट किए गए थे। कमांडो को गोला बारूद से सेट किए गए दुश्मन के टारगेट को नेस्तनाबूत करना था।

परिस्थितियां बहुत खतरनाक था लेकिन भारतीय जवानों की तैयारियां इतनी जबरदस्त थीं कि ऑपरेशन पूरा करने के बाद 5 घंटे तक दुश्मन की ओर से चली फायरिंग का जवाब देते हुए टीम सकुशल वापस लौटे थे।

इस लिए हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक-

18 सितंबर 2016 को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में इंडियन आर्मी के कैंप पर हमला किया था। इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे।

इसका जवाब देने के लिए भारत को कड़ा रुख अख्तियार किया। भारत ने ऐसा कदम उठाया जिससे न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया देखती रह गई।

भारत ने 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लांच पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उन्हें तबाह कर दिया।

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