Loksabha chunav 2024: नीतीश की अनदेखी पड़ सकती है भारी…
बीजेपी के प्रदेश स्तर के नेताओं ने शायद उतनी दूर की नहीं सोची
पटना: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर अब सरगर्मियां तेज हो गयी है. अब लोकसभा चुनाव के लिए तीन से चार महीने का समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने आपको मजबूत कर रही हैं. अगर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की बात करें तो उनको लोग भले कम विधायकों की वजह से मजबूर मानते हों, लेकिन सच बिल्कुल इसके उलट है. उनके पास विधायकों की जितनी संख्या है, उससे मौजूदा समय में वे सबसे मजबूत स्थिति में दिखते हैं. बिहार में नीतीश कुमार को साथ रखना NDA और INDIA के लिए मजबूरी है. नीतीश के प्रति भाजपा नेताओं के टोन अचानक बदल जाने के पीछे यही वजह है.
आपको बता दें कि भले ही india गठबंधन ने नीतीश कुमार को वो तवज्जो नहीं दी जिसके वो हकदार थे, लेकिन जेडीयू नेतृत्व में फेर-बदल के बाद वे बारगेन करने की स्थिति में आ गए हैं. गठबंधन को भय है कि नीतीश ने साथ छोड़ा तो बिहार में बनता खेल बिगड़ जाएगा. NDA 2019 की पुनरावृत्ति चाहता है तो नीतीश के बिना उसका सपना शायद ही पूरा हो.
बिहार में नीतीश के पास मैजिक –
अगर बिहार में नीतीश कुमार के वोट बैंक की बारे में बात करें तो सबसे खास यह है कि बिहार में पिछड़ों की संख्या अधिक है और नीतीश कुमार पिछड़ी जाति से आते हैं. बिहार विधानसभा में नीतीश की पार्टी विधायकों की संख्या की दृष्टि से तीसरे नंबर पर है. जेडीयू के कुल जमा 45 विधायक हैं. इतने कम विधायकों को लेकर वे सीएम कभी नहीं बन सकते. फिर भी वे सीएम की कुर्सी पर पूरे दमखम से बैठे हैं.
बीजेपी ने 2020 में उन्हें सीएम तो बनाया लेकिन बीजेपी के प्रदेश स्तर के नेताओं ने शायद उतनी दूर की नहीं सोची. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष से लेकर छोटे-बड़े नेताओं ने मौके-बेमौके उनका उपहास उड़ाना शुरू कर दिया. नतीजा यह हुआ कि बिदक कर नीतीश ने महागठबंधन से हाथ मिला लिया. उनकी सीएम की कुर्सी सलामत रही. जेडीयू के जितने विधायक हैं, वे नीतीश को सीएम बनाए रखने के लिए किसी को भी मजबूर करते हैं. नीतीश इसी का लाभ लेते रहे हैं.
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नीतीश कुमार के पास 15-16 फीसद वोट बैंक-
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में JDU किसी भी दल के साथ शामिल नहीं थी तो भी नीतीश कुमार को बिहार में 15-16 फीसद वोट मिल अतः जिससे किसी भी दल को नीतीश से नाराजगी भरी पड सकती है. यह अलग बात है कि उन्हें बिहार में मात्र दो सीटें ही मिली थी लेकिन वोट प्रतिशत में उन्हें काफी लाभ मिल था. 2019 लोकसभा में नीतीश की ताकत का अहसास भाजपा को हुआ उन्हें बिहार की 40 सीटों में 39 में जीत मिली.