काशी के मंदिर करा रहे दक्षिण भारत का अहसास, तमिल मेहमानों के आखिरी दल काेे वणक्कम
काशी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन
kashi: काशी तमिल संगमम-2 में शामिल होने के लिए तमिल श्रद्धालुओं का अंतिम दल काशी पहुंचा. इसमें व्यापारी वर्ग शामिल है, जिसे कावेरी का नाम दिया गया है. धर्म,संस्कृति और इतिहास से भरी काशी में दक्षिण भारतीय मेहमानों का ‘वणक्कम काशी’ कहके अभिवादन किया गया. ढोल-नगाड़े की थाप के बीच स्वस्तिवाचन और फूलों की वर्षा से मेहमानों का स्वागत किया गया.
तमिल मेहमानों के स्वागत के लिए जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. व्यापारी एवं व्यवसायी समूह के लोगों ने कहा कि हमें खुशी है कि हम सभी काशी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन करेंगे और प्रयागराज संगम स्नान, अयोध्या प्रभु राम लला का दर्शन कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तीन शहरों की यात्रा में हमें बहुत कुछ देखने और जानने को मिलेगा.
मेहमानों के लिए विशेष तैयारी
काशी पहुंचे मेहमानों के लिए विशेष तैयारी की गई है. इस यात्रा में मेहमानों को तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश दोनों की कला संस्कृति की झलक दिखाई देगी. इसके आलावा उन्हें काशी विश्वनाथ धाम,काल भैरव मंदिर, सारनाथ, हनुमान घाट, गंगा आरती सहित अन्य स्थानों का भ्रमण करते हुए प्रयागराज और फिर अयोध्या का भी भ्रमण करेंगे.
मंदिर कराएगी दक्षिण भारत का अहसास
दक्षिण भारत से काशी आने वाले लोग सुब्रह्मण्य भारती के घर और म्यूजियम का दीदार कर रहे हैं. इतना ही नहीं काशी में कांची कामकोटि पीठ है, जोकि दक्षिण भारत की वास्तु कला पर बनी है. इस मंदिर के शिखर पर तमाम देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैंं. यही नहीं, काशी तमिल संगमम-2 के दौरान वाराणसी आने वाले सभी डेलिगेस्ट को काशी के मिनी तमिलनाडु यानी तमिल कॉलोनी का दीदार कराया जा रहा है, ताकि सदियों पहले जुड़ा यह नाता फिर से उतना ही गहरा हो सके.
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क्यों आयोजित हुआ काशी तमिल संगमम-2
केटीएस 2.0 जागरूकता पैदा करने , संपर्क कायम करने, लोगों के बीच आपसी संबंध स्थापित करने पर एवं सांस्कृतिक रूप से दो राज्यों में जुड़ाव पैदा करने पर केंद्रित रहा है. अधिकारी ने कहा कि स्थानीय समकक्षों (बुनकर, हस्तशिल्पी, कलाकार,लेखक आदि) के साथ संवाद एवं आपसी समझदारी बढ़ाने पर बल दिया गया ताकि वे श्रेष्ठ पद्धतियों को समझ पाये, अपने शिक्षण कौशल को बढ़ा सकें और एक दूसरे के साथ विचारों का आदान प्रदान कर पायें.