13 साल 15 जिले, 21 बार हुआ तबादला, जानें कौन है IPS प्रभाकर चौधरी

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इन दिनों आईपीएस प्रभाकर चौधरी सोशल मीडिया पर काफी सुर्ख़ियों में आ गए हैं. दरअसल जब से उनका ट्रांसफर बरेली में हुआ था तब से लोगों के अंदर उनके बारे में जानने की दिलचस्पी बढ़ने लगी है, ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर कौन हैं ये आईपीएस जिन्हे अपनी 13 साल की नौकरी में 21 बार तबादले का सामना करना पड़ा, तो आइए आपको बताते है इनके बार में और जानते है कि कैसे ये सुर्खियों में आये–

अब तक आईपीएस प्रभाकर चौधरी 15 जिलों में कप्तान रह चुकें हैं. जहां ये 15 जिलों में कही एसएसपी तो कही एसपी के पद पर कार्यरत रह चुकें हैं- जिसमे से मेरठ, आगरा, बुलन्दशहर, बरेली, वाराणसी, मुरादाबाद और मथुरा ऐसे जिले हैं जहां वह एसएसपी के पद पर तैनात थे. वह सीतापुर, देवरिया, बलिया, कानपुर देहात, लालतीपुर, सोनभद्र समेत दो अन्य जिलों में एसपी रहे.

मेरठ में अधिकतम प्रवास एक वर्ष 9 दिन…

सबसे ज्यादा दिन तक वें मेरठ जिले में कार्यरत रहें हैं, मेरठ में उनका कार्यकाल एक वर्ष से अधिक समय तक रहा. अन्य जिलों में वह पांच से छह माह ही तैनात रह पाते थे. कुछ जिले तो ऐसे थे जहां वे केवल दो माह ही रुके. झाँसी जीआरपी के एसपी रहते हुए उन्हें सोनभद्र का एसपी बनाया गया. उस समय सोनभद्र में उम्भा कांड हुआ था. उन्हें बवाल से निपटने के लिए सोनभद्र भेजा गया था. हंगामा शांत होते ही उन्हें वाराणसी का एसएसपी बना दिया गया, जबकि सोनभद्र आए अभी दो महीने ही हुए थे.

पूर्व मंत्री का मीट प्लांट बंद कराया गया…

हालांकि, जब प्रभाकर चौधरी की पोस्टिंग मेरठ में हुई, तो उन्हें वहां काफी समय बिताने को मिला. यहां एक साल नौ दिन रहे. मेरठ में उनका कार्यकाल भी विवादों से भरा रहा. प्रभाकर चौधरी ने पूर्व मंत्री हाजी याकूब का मीट प्लांट बंद करा दिया था. इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था. हाईवे पर ट्रकों से मवेशियों की अवैध वसूली करने वाले गिरोह के खिलाफ भी कार्रवाई की गई.

खाकी से गठबंधन कर काम नहीं करते प्रभाकर चौधरी!

प्रभाकर चौधरी के बारे में कहा जाता है कि वह खाकी से गठबंधन नहीं करते. जो लोग उपहार लेकर पहुंचते हैं, वे उल्टे पांव लौट जाते हैं. उनका यह रवैया जिले के जन प्रतिनिधियों को पसंद नहीं है, यही कारण है कि उनकी शिकायतें लखनऊ तक पहुंचती रहती हैं. कोई भी जन प्रतिनिधि उन्हें पसंद नहीं करता. वे कार्यालय या क्षेत्र के अलावा अपने बंगले पर किसी भी जनप्रतिनिधि, चाहे वह सांसद, विधायक या जिला पंचायत अध्यक्ष हों, से मिलना पसंद नहीं करते.

मंत्री, विधायक- सांसद से तक नहीं जमी…

मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक और योगी सरकार में राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने साल 2022 में एक बार अपना इस्तीफा लखनऊ भेजा था. उस समय उनकी नाराजगी की एक बड़ी वजह आईपीएस प्रभाकर चौधरी थे, जो उस समय एसएसपी थे. दरअसल, मंत्री होने के नाते दिनेश खटीक एक मामले को लेकर खुद थाने पहुंच गए थे. वहां उनका पुलिसकर्मी से विवाद हो गया.

मंत्री की शिकायत को किया नजरअंदाज!

राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने दूसरे पक्ष की शिकायत दर्ज कर ली, जिससे वह नाराज हो गए. सूत्र बताते हैं कि जब उन्होंने एसएसपी प्रभाकर चौधरी से पुलिसकर्मियों की शिकायत की तो उन्होंने भी अनसुना कर दिया, जिससे मंत्री की नाराजगी और बढ़ गयी. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उनकी शिकायत की, जिसके बाद प्रभाकर चौधरी का मेरठ से तबादला कर दिया गया.

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