बांग्लादेश हिंसा में 101 लोगों की मौत, पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी

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बांग्लादेश में भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 101 हो गई है. आरक्षण सुधार की मांग से शुरू हुआ आंदोलन सरकार बदलने के आंदोलन के रूप में तब्दील हो गया है. सरकार के इस्तीफे की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थक लोगों के बीच भीषण झड़पें हुईं. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के बातचीत के न्योते को भी ठुकरा दिया है.

सबसे ज्यादा मारे गए पुलिस कर्मी

दोनों गुटों के बीच टकराव में अब तक 101 लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों अन्यअ घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में ज्यासदातर पुलिसकर्मी हैं, जिन पर प्रदर्शनकारियों का गुस्साा फूट रहा है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तरों और उनके नेताओं के आवास पर हमला किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

पूरे देश में लागू हुआ अनिश्चितकालीन कर्फ्यू

प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने रविवार शाम छह बजे से देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है. साथ ही सरकारी एजेंसियों ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’, ‘मैसेंजर’, ‘व्हॉट्सऐप’ और ‘इंस्टाग्राम’ को बंद करने का आदेश दिया है.

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिवसीय सामान्य अवकाश घोषित किया गया है.

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कुछ दिन पहले ही पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए थे. छात्र विवादास्पद कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे थे. यह प्रणाली 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देती है.

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