विराट कोहली: जिसने लक्ष्य हासिल करना बनाया आसान

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नई दिल्ली। एक समय था जब विराट कोहली का व्यवहार और तुनक मिजाज रवैया उनकी अतुलनीया प्रतिभा पर हावी रहता था, लेकिन समय के साथ कोहली ने दबाव में शांत रहना सीखा और यही कारण है कि वह टीम की जीत में लगातार अहम भूमिका निभा रहे हैं और उनकी तुलना क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों से की जा रही है।

इस मास्टर बल्लेबाज ने रनों का पीछा करने जैसे कठिन काम को बेहद सरल साबित किया है। एक छोर पर विकेट गिरने और रन रेट के बढ़ने के बाद भी वह विचलित नहीं होते। उन पर विश्वास किया जा सकता है कि वह टीम को जीत दिलाएंगे। अपने परम्परागत क्रिकेट शॉट के साथ गेंद को खेलने की कला के चलते कोहली भारत में क्रिकेट के एक विशेष खिलाड़ी के तौर पर सामने आए हैं।

Mohali: Virat Kohli of India celebrates after winning against Australia in the WT20 match played at Punjab Cricket Association IS Bindra Stadium in Mohali, on March 27, 2016. (Photo: Surjeet Yadav/IANS)

हाल ही में टी-20 विश्व कप में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले और सेमीफाइनल का टिकट दिलाने वाले विराट रनों का पीछा करने की कला में निपुणता के काफी करीब आ गए हैं।

भारत को आस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 विश्व कप में सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए 160 रनों की जरूरत थी। दूसरे छोर पर बल्लेबाज लगातार विकेट खोते जा रहे थे, लेकिन विराट एक छोर संभाले हुए थे और विकेटों के बीच तेज दौड़कर एक रन को दो रन में बदल रहे थे। खराब गेंद को सीमा रेखा के पार भी भेज रहे थे।

भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी जब तक विजयी रन लेते उससे पहले ही विराट 51 गेंदों में 82 रनों की पारी खेल भारत की जीत के मसीहा बन चुके थे। मैच से पहले ट्विटर पर कोहली के बड़े मैचों के स्वभाव पर सवाल उठाने वाले आस्ट्रेलिया के बांए हाथ के तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन भी मैच के बाद कोहली की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।

आस्ट्रेलिया के ही दिग्गज लेग स्पिनर शेन वॉर्न ने ट्वीट कर कहा था कि विराट की पारी ने उन्हें सचिन तेंदुलकर की पारी की याद दिला दी। कुछ दिन पहले पाकिस्तान के खिलाफ भी कोहली जीत के मसीहा बन कर उभरे थे। रनों का पीछा करते हुए भारतीय टीम की खराब शुरुआत के बाद कोहली ही थे जो अंत तक टिके रहे और 55 रनों की पारी खेल टीम को जीत दिलाई।

आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मैच के बाद धौनी ने कहा था कि मैंने पहली बार विराट को इस तरह बल्लेबाजी करते नहीं देखा है। मैंने उन्हें एक खिलाड़ी बनते देखा है। वह लगातार अपने खेल में सुधार करते जा रहे हैं।

Mohali: Virat Kohli of India celebrates after winning against Australia in the WT20 match played at Punjab Cricket Association IS Bindra Stadium in Mohali, on March 27, 2016. (Photo: Surjeet Yadav/IANS)

कोहली 2008 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली भारतीय युवा टीम के कप्तान थे। इसी विश्व कप जीत के बाद वह चर्चा में आए थे। उन्होंने भारत को विश्व कप दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।

वह हालांकि अपने करियर और सफलता के साथ की जा रही प्रशंसा के बीच तालमेल बैठाने में संघर्ष करते नजर आए थे। उनके दृढसंकल्प और सीनियर टीम के सदस्यों के मार्गदर्शन के बाद वह इससे बाहर आने में सफल रहे।

2011 विश्व कप के फाइनल में 35 रनों की सूझबूझ भरी पारी खेलने के बाद कोहली ने होबार्ट में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 133 रनों का पारी खेल सुर्खियां बटोरीं। इसके बाद एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 183 रनों की पारी खेल उन्होंने अपनी साख और मजूबत की।

कोहली ने 2013 में आस्ट्रेलिया में अपनी कला को और निखारा। जहां उन्होंने 350 रनों से ज्यादा लक्ष्य वाले दो मैचों में दो शतक जमाए। क्रिकेट के विद्वान और कामेंटेटर कोहली की तुलना सचिन और वेस्टइंडीज के दिग्गज विवियन रिचर्डस से करने लगे हैं। भारत को 1983 में पहला विश्व कप दिलाने वाले कप्तान कपिल देव ने तो कोहली को इन दोनों से आगे बताया है।

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