क्या संविधान से भी ऊपर है मोहम्मडन लॉ?: मनीष तिवारी

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नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर के जरिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) पर तीखा हमला किया है। तीन बार तलाक के मुद्दे पर बोर्ड के रवैये को लेकर उन्होंने सवाल किया है कि क्या मुस्लि‍म पर्सनल लॉ संविधान से भी ऊपर हैं।

तिवारी का यह सवाल एआईएमपीएलबी के उस बयान पर आया है, जिसमें उसने कहा कि उसके नियम कुरान पर आधारित हैं और यह सुप्रीम कोर्ट के दायरे में नहीं आते।

कांग्रेस प्रवक्ता और पेशे से वकील मनीष तिवारी ने ट्वीट कर पूछा, ‘जो मोहम्मडन लॉ तीन बार तलाक की अनुमति देता है, क्या वह भारतीय संविधान से भी ऊपर है? क्या मुस्लिम महिलाओं की एकतरफा तलाक में सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जानी चाहिए?’

अपने दूसरे ट्वीट में मनीष ने लिखा कि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, जो पतनशील प्रथाओं के तथ्यों को छुपाकर, उनके औचित्य को साबित करने का जरिया बन गया है।

गौरतलब है कि एआईएमपीएलबी भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड के औचित्य पर सवाल खड़ कर रहा है। उसका तर्क है कि हिन्दू सिविल कोर्ड 1956 में पास किया गया, लेकिन हिन्दुओं के बीच जातियों को लेकर भेदभाव खत्म नहीं हुए।

क्या है मामला
आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) स्वत: संज्ञान लेते हुए मुस्लिम महिलाओं को दिए जाने वाले एकतरफा तलाक में उनके हकों और सुरक्षा की पड़ताल कर रहा है। कोर्ट ने तीन बार तलाक कहकर रिश्ते को खत्म करने की प्रथा की कानूनी वैधता जांचने का निर्देश दिया था। क्योंकि इस तरह रिश्ता खत्म करने के बाद महिलाएं असहाय हो जाती हैं।

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