योगी सरकार से आरपार की लड़ाई के मूड में बनारस के बुनकर, बिजली सब्सिडी खत्म पर बढ़ा ‘झगड़ा’ !
वाराणसी। बनारस की साड़ियां फैशन नहीं परंपरा है। ऐसी परंपरा जिसकी रस्म दुनियाभर में निभाई जाती है। शादी कहीं भी हो, दांपत्य का रिश्ता बनारस की रेशमी साड़ियों से ही गाढ़ा होता है। बनारस के जिन घरों में ये रिश्ते बुने जाते थे, उन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कोरोना के चलते धंधा पहले ही मंदा चल रहा था। और अब योगी सरकार ने बुनकरों को बिजली का झटका देना शुरु कर दिया है। बिजली का झटका, मतलब पावरलूम पर दी जाने वाली सब्सिडी अब खत्म कर दी गई है।
बिजली सब्सिडी का क्या है झगड़ा ?
अब सवाल उठता है कि बिजली सब्सिडी खत्म होने से बुनकरों को कितनी परेशानी होगी। इसे समझने के लिए हमने बनारस के उन मोहल्लों का दौरा किया, जहां बुनकरों की काफी तादाद है। बुनकर बताते हैं कि पावरलूम पर बिजली सब्सिडी खत्म करके योगी सरकार ने उन्हें पूरी तरह से हाशिए पर ला दिया है। दरअसल 2006 के बिजली विभाग के अधिनियम के मुताबिक बुनकरों को एक पावरलूम पर प्रतिमाह 71.5 रुपए बिजली का बिल चुकाना पड़ता था। लेकिन योगी सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। बिजली विभाग की ओर से अब स्मार्ट मीटर लगा दिए हैं। बुनकरों के मुताबिक नई व्यवस्था के लागू होने के बाद उन्हें अब महीने के 1500-1600 रुपए बिजली का बिल देना पड़ेगा।
बुनकरों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा
योगी सरकार के इस फैसले का बुनकर विरोध कर रहे हैं। बुनकरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। बुनकरों ने राज्य सरकार की इस नई व्यवस्था को काला कानून तक बता दिया है। राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता है तो वे पावरलूम का पीडी यानि परमानेंट डिसक्नेट करा लेंगे। बुनकरों की ये पीड़ा जायज भी है। मौजूदा दौर में बनारसी साड़ी उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। सूरत और बैंगलूरु की साड़ियों के मुकाबले बनारसी साडियां बाजार में पिछड़ गई हैं। ऊंची कीमत के चलते ग्राहक बनारसी साड़ी खरीदने से बचते हैं। धीरे-धीरे हालात ऐसे बनते चले गए कि धंधा मंदा पड़ने लगा। और अब लॉकडाउन ने बुनकरों को बर्बादी की कगार पर ला दिया है। कई ऐसे बुनकर हैं जो साड़ी के धंधे से हटकर सब्जी की दुकान, चाय या फिर दूसरे रोजगार से जुड़ गए हैं। जो बचे थे, अब उन्हें राज्य सरकार ने बिजली के नाम पर बड़ा झटका दिया है।
इतने का है बनारसी साड़ी का कारोबार
बनारस में साड़ी उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग दो लाख परिवार जुड़े हैं। मतलब लगभग आठ लाख लोगों की रोजीरोटी का जुगाड़ साड़ी उद्योग से होता है। लेकिन योगी सरकार के नए फैसले ने इस धंधे की कमर तोड़ दी है। जानकार बता रहे हैं कि बुनकरों के हड़ताल से राज्य सरकार को लगभग सौ करोड़ रुपए प्रतिमाह राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा।
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