श्वेत पत्र से ‘बुआ-भतीजे’ पर निशाना
आज उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सिंहासन ( throne) पर बैठे पूरे छह महीने हो गये है। छह माह पूरे होते ही योगी सरकार ने अपने कार्यो के साथ साथ दूसरी सरकार के कार्यकाल में किये गये कामों को भी गिना दिया। आज 19 सितंबर मंगलवार को योगी सरकार अपना 6 महीना पूरा कर रही है। 19 मार्च कि शाम को जब देश के पीएम मोदी के सामने योगी आदित्यनाथ ने सीएम पद की शपथ ली थी, तब लोग योगी के सीएम बनने पर आश्चर्यचकित रह गये थे। योगी के सीएम बनते ही जनता को उनसे कई उम्मीदें भी थीं। ऐसे में अब जबकि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के छह महीने पूरे हो चुके हैं, जनता इस छह महीने का लेखा-जोखा चाहती है।
योगी सरकार अपने छह महीने का रिपोर्ट कार्ड पेश करने जा रही है…
इसी को भांपते हुए योगी सरकार अपने छह महीने का रिपोर्ट कार्ड पेश करने जा रही है, लेकिन अपनी रिपोर्ट कार्ड के पहले योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी और बीएसपी सरकारों के कामकाज पर श्वेत पत्र जारी कर दिया। सवाल भी उठे कि सिर्फ समाजवादी और बीएसपी के सरकारों के ही श्वेत पत्र क्यों?
कुछ बड़ी घोषणाओं पर बड़ा झटका भी लगा
फिलहाल योगी इस सवाल को टाल गए लेकिन अपनी पीठ थपथपाने और अपने ही कार्यी के प्रशंसा करते रहे। सोमवार को योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट के अपने सहयोगियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पिछली सरकारों के श्वेत पत्र को सामने रखा। साथ ही उन्होंने अपने छह महीने के कामकाज की रिपोर्ट कार्ड के लिए एक-दो दिनों का वक्त और मांग लिया । सीएम योगी की सरकार ने अपने संकल्प पत्र को पूरा करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया, लेकिन इन छह महीनों में संकल्प पत्र की कुछ बड़ी घोषणाओं पर बड़ा झटका भी लगा।
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मसलन सरकार का सबसे बड़ा वादा बिना भेदभाव सभी को 24 घंटे बिजली देने का था, लेकिन 6 महीने गुजरने के बाद भी सरकार का बिजली का दावा उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है। जब योगी आदित्यनाथ सरकार अपना छह महीने की खुशियां मना रही होगी, उसी समय उत्तर प्रदेश के कई जिलो में बिजली ने लोगो का बुरा हाल कर रखा है।
बच्चों की मौतें उनके गले की हड्डी बन कर रह गई है
कहीं जिला कलेक्टर के खिलाफ नारेबाजी हो रही है, तो कहीं लोग बिजली स्टेशन में तोड़फोड़ कर रहे हैं। सीएम योगी ने बिजली को लेकर वीवीआईपी जिले की पहचान तो खत्म कर दी लेकिन ज्यादातर जिलों में कई वजह से बिजली संकट गहराई हुई है। इन छह महीनों में सीएम योगी ने अगर किसी विषय पर सबसे ज्यादा घिरी या सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार हुई, तो वह रहा जन स्वास्थ्य का मुद्दा। सीएम योगी गोरखपुर अस्पताल में रोजाना हो रहीं बच्चों की मौतें उनके गले की हड्डी बन कर रह गई है।
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नतीजन आये दिन विपक्ष सीएम योगी को उनके तीखे सवालों से घिर जाते है। हालांकि सरकार अब भी यही मानती है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। लेकिन एक महीने से भी कम अंतराल में गोरखपुर अस्पताल में तीन सौ बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य पर योगी सरकार के दावों को खारिज कर दिया। समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अधर में लटका हुआ है।
योगी सरकार का यह वायदा जमीन पर उतरता दिख रहा है
जिस एक्सप्रेसवे से योगी सरकार ने समाजवादी नाम हटाकर सिर्फ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे रख दिया है, उसे वह आगे बढ़ाने में फिलहाल सफल होती नहीं दिख रही। सरकारी बजट में पैसा नहीं है, इसलिए अब सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को एनएचएआई के साथ आगे बढ़ाना चाहती है। वाराणसी में वरुणा के रिवर फ्रंट का भी यही हाल है। अखिलेश यादव की सुपर स्पेशालिटी कैंसर और लीवर अस्पताल बनाने की योजना भी फिलहाल खटाई में है। योगी सरकार अपने संकल्प पत्र के सबसे बड़े वादे किसानों का कर्ज माफ करने की योजना लागू करने में सफल रही है। हालांकि कुछ पैसे से लेकर कुछ रुपए तक की कर्जमाफी ने योगी सरकार की थोड़ी किरकिरी जरूर कराई है। लेकिन लाखों किसानों के एक लाख तक के कर्ज माफ हुए हैं, और फिलहाल योगी सरकार का यह वायदा जमीन पर उतरता दिख रहा है।
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इसके लिए योगी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है। योगी सरकार ने कानून व्यवस्था पर शुरुआती कुछ महीनों में गंभीर आलोचना झेली पड़ी, लेकिन इसके लिए योगी सरकार को एनकाउंटर का सहारा लेना पड़ रहा है। पुलिस के आंकड़े देखें तो साफ हो जाएगा कि शुरुआती चार महीनों के दौरान तो योगी सरकार को कानून व्यवस्था को लेकर भी आलोचनाओं का दंश झेलना पड़ा।
अब योगी सरकार का ट्रंप कार्ड होता जा रहा है…
लेकिन पिछले डेढ़ महीने में एनकाउंटर कर जिस तरह बदमाशों का सफाया किया गया, उससे कुछ हद तक प्रशासन को कानून व्यवस्था पर नियंत्रण हासिल हुआ है। इन 6 महीनों में योगी सरकार की पुलिस 420 एनकाउंटर कर चुकी है, जिसमें 15 बदमाश ढेर कर दिए गए। बड़े आपराधिक मामलों को पुलिस ने सॉल्व किया, कई बड़े गिरोह पकड़े गए और कई बड़े बदमाशों का सफाया कर दिया गया। ऐसे में चुनौती बन रही कानून व्यवस्था अब योगी सरकार का ट्रंप कार्ड होता जा रहा है।
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…इस अभियान ने भी कुछ समय के बाद दम तोड़ दिया
जिस एंटी रोमियो अभियान की वजह से पूरे देश में योगी सरकार चर्चा का विषय रही, वह पिछले कई महीनों से खत्म हो चुका है। एंटी रोमियो स्क्वाड अब चुपचाप काम कर रहा है और कुछ हद तक यह सफल भी है। शुरुआती आलोचना झेलने के बाद एंटी रोमियो स्क्वाड ने पार्कों में, रेस्टोरेंट में या सड़कों पर प्रेमी जोड़ों को निशाना बनाना बंद कर दिया और चुपचाप लड़कियों की शिकायतों पर काम करना शुरु किया, जिसके नतीजे दिखने शुरू हो गए हैं।हालांकि एंटी रोमियो अभियान को सफल बनाने में अखिलेश सरकार द्वारा शुरू किए गए हेल्पलाइन नंबर 1090 का भी योगदान रहा। लेकिन जिस तरीके से एंटी रोमियो स्क्वाड को प्रशिक्षण दिया गया, आंतरिक रूप से बदला गया प्रेमी जोड़ों को न छोड़ने की हिदायत दी गई उससे एंटी रोमियो स्क्वाड योजना सफल दिख रही है। सरकार के चलाये इस अभियान ने भी कुछ समय के बाद दम तोड़ दिया।
अखिलेश ने योगी पर साधा निशाना
योगी सरकार के श्वेत पत्र जारी करते ही उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्विटर पर योगी सरकार पर सीधे निशाना साधा है। उन्होंने ट्विटर पर किसानों को दिये प्रमाणपत्र की कॉपी शेयर की है। जिसमें सरकार ने किसानों की मदद के नाम पर उनका मजाक उड़ाया है।
भूल चुके जो अपना 'संकल्प पत्र', 'श्वेत पत्र' उनका बहाना है! pic.twitter.com/d9HQrwTSxM
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 18, 2017
अखिलेश यादव ने योगी के श्वेत पत्र को कर्ज माफी के नाम पर किसानों की गरीबी का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार अपनी संकल्प पत्र ही भूल चुकी है और श्वेत पत्र जारी कर के किसानों की के साथ कर्ज माफी के नाम पर खिलवाड़ किया है।
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