प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन, सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी सौगात
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ताबड़तोड़ 22 फैसले लिए गए। इनमें सबसे अहम यह रहा कि इलाहाबाद में कुंभ मेले के आयोजन के लिए स्थायी तौर पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन कर दिया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्घार्थनाथ सिंह एवं श्रीकांत शर्मा ने कैबिनेट की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दी। सिद्घार्थनाथ सिंह ने बताया कि सरकार ने प्रयागराज में कुंभ और महाकुंभ को आयोजित करने के लिए स्थायी तौर पर प्रयागराज मेला प्रधिकरण का गठन करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, “उप्र सरकार कुंभ और महाकुंभ की विश्वभर में ब्रांडिंग के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण के गठन का निर्णय लिया है। इसका चेयरमैन इलाहाबाद जोन के कमिश्नर को बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त इसके उपाध्याक्ष के तौर पर इलाहाबाद जोन के पुलिस महानिरीक्षक और जिलाधिकारी काम करेंगे।” सिद्घार्थनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि इलाहाबाद में प्रतिवर्ष लगने वाले माघ मेले की व्यवस्था का जिम्मा भी प्राधिकरण ही संभालेगा। माघ मेले को भी भव्यता प्रदान की जाएगी।
सिंह ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने तय किया है कि शासकीय विद्यालयों में रिक्त सहायक अध्यापक और प्रवक्ता के पदों पर अब सेवानिवृत्त अध्यापकों को कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। इसके लिए माध्यमिक में पढ़ाने वाले सहायक अध्यापक को 15 हजार रुपये प्रतिमाह और प्रवक्ताओं को 20 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा।
सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उप्र में समय समय पर मंत्रियों और मुख्यमंत्री के द्वारा समाधान दिवसों पर सुनवाई की जाती है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अब यह तय किया है कि उप्र में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन शुरू की जाए। यह 500 की क्षमता वाला हेल्पलाइन होगा। जो 24 घंटे काम करेगा। इस हेल्पलाइन पर लोग सीधे अपनी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकते हैं। यह सेवा भी जल्द से जल्द शुरू की जाएगी।
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शर्मा ने बताया कि उप्र सरकार ने किसानों को प्रमाणिक बीज को लेकर भी एक राहत भरा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार गेहूं और जौ पर प्रामाणिक बीजों पर मिलने वाली छूट को 400 से बढ़ाकर 600 कर दिया है।
उन्होंने बताया कि उप्र में बाढ़ प्रभावित इलाकों में बाढ़ की वजह से उपजाऊ भूमि में भी बालू और मोरम की अधिकता हो जाती है। इससे किसान परेशान रहता था लेकिन अब सरकार ने तय किया है कि किसान को इसे हटाने के लिए तीन महीने की छूट दी जाएगी, लेकिन इसके लिए किसानों को जिलाधिकारी के माध्यम से इसकी अनुमति लेनी होगी। इसके लिए किसानों को दो हजार का शुल्क भी जमा करना पड़ेगा।
श्रीकांत शर्मा ने बताया कि किसानों को अब निजी काम के लिए अधिकतम 10 ट्रॉली मिट्टी अपने खेत से खोदने की इजाजत दे दी गई है। इसका इस्तेमाल वह अपने व्यक्तिगत कार्यो में कर सकते हैं।