कांग्रेस के जय-वीरु को हराने के लिए सीपी योगश्वर ने कसी कमर
निर्देशक रमेश सिप्पी की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले की शूटिंग के 43 साल बाद ‘जय’ और ‘वीरू’ कर्नाटक के रामनगर जिले में रामदेव बिट्टा के पहाड़ी इलाके में वापस आ चुके हैं। खासकर बीजेपी उम्मीदवार सीपी योगेश्वर के लिए जो कर्नाटक चुनाव की हाई प्रोफाइल सीट चन्नापटना से चुनाव लड़ रहे हैं। 2013 में योगेश्वर ने इसी सीट पर समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा था और यूपी की क्षेत्रीय पार्टी को कर्नाटक की एकमात्र सीट पर विजय दिलाई थी।
सीपी योगेश्वर को हराने के लिए जय-वीरु ने की साठ-गांठ
इस बार उनका मुकाबला कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस के उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस के एचडी रेवन्ना से है। योगेश्वर इन दोनों को जय-वीरू की जोड़ी बता रहे हैं, जो उन्हें हराने के लिए सांठ-गांठ कर रहे हैं। योगेश्वर बताते हैं, ‘यह दोनों शोले के जय-वीरू की तरह हैं।’
कांग्रेस-जेडीएस का उद्देश्य मुझे हराना है- सीपी योगेश्वर
योगेश्वर का कहना है, ‘उनका उद्देश्य मात्र मुझे हराना है। रेवन्ना पहले से ही एमएलसी हैं और उनके कार्यकाल के अभी 2 साल बचे हैं। उन्हें जीत की जरूरत नहीं है। उन्हें इस सीट पर कांग्रेस के मंत्री डीके शिवकुमार का समर्थन मिला हुआ है, जो वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, कुमारस्वामी भी वोक्कालिगा हैं और मैं भी इसी समुदाय से आता हूं। दोनों आपसी सलाह से किसी भी तरह वोक्कालिगा पर नियंत्रण रखना चाहते हैं।’
योगेश्वर पूर्व अभिनेता और पांच बार विधायक रह चुके हैं
योगेश्वर पूर्व अभिनेता और पांच बार विधायक रह चुके हैं। 20 साल पहले राजनीति में उतरने वाले योगेश्वर समाजवादी पार्टी से पहले बीजेपी और कांग्रेस के टिकट से भी जीत हासिल चुके हैं। एक ओर कांग्रेस जेडीएस को बीजेपी की टीम बी बता रही है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी रैलियों में जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
फिल्मों की तरह कई ट्विस्ट
किसी फिल्म की तरह ही कर्नाटक चुनाव में इस बार कई ट्विस्ट हैं। चन्नापटना और रामनगर के निवासियों का एक वर्ग कांग्रेस की योजनाएं जैसे इंदिरा कैंटीन, अन्ना भाग्य और शिरा भाग्य को लेकर उत्साहित है।
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क्षेत्र का एक वर्ग कांग्रेस की योजनाओं से है संतुष्ट
फिल्म शोले में ही हेमा मालिनी के किरदार में बसंती के साथ पांच साल के बच्चे का रोल करने वाले बोरम्मा को कांग्रेस पर पूरा भरोसा है। वह कहते हैं, ‘मेरे पास शिकायत के लिए कुछ नहीं है। मेरा जीवन अब शांतिपूर्ण है। इसके उलट फिल्म इंडस्ट्री का एक भी ऐक्टर हमारे लिए कभी कुछ लेकर नहीं आया।’
रेशम उद्योग को बढ़ावा न दिए जाने से केंद्र से नाराज हैं लोग
बोरम्मा इस क्षेत्र के उन लोगों में से हैं जो रामनगर की सिल्क इंडस्ट्री को प्रोत्साहन न दिए जाने और रामनगर से बेंगलुरु के बीच निरंतर रेल सेवा न होने की वजह से केंद्र से नाराज हैं। वल्चर सेंचुरी में नाइट गार्ड के रूप में काम करने वाले इरेन्ना कहते हैं, ‘दूसरे कृषि उत्पादों की तरह सिल्क के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं है।
केंद्र सरकार को आसान ऋण देना चाहिए
हमारे लोग बाजार में सीजनल डिमांड पर निर्भर हैं। केंद्र को इसके लिए आसान ऋण और इंडस्ट्रियल पार्क यहां लाने चाहिए। इसके अलावा, गारमेंट इंडस्ट्री के मजदूरों को बेंगलुरु तक के लिए रेलसेवा की जरूरत है।’ इरेन्ना का परिवार रेशम के कोकून को विकसित करता है। चालीस साल पहले वह शोले के क्रू मेंबर्स को फूड सप्लाई करते थे।