Year Ender 2023 : इस साल सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए ये बड़े फैसले
Year Ender 2023 : साल 2023 खत्म होने पर है. कुछ ही दिन बाद हम नए साल का स्वागत करने वाले हैं. ऐसे में इस साल की कई विशेष यादों को हम एक धागे में पिरो कर लेकर आ रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं वो कड़े फैसले जो चचर् में रहे. इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कई सारे बड़े मुद्दों पर फैसला सुनाकर इस साल को इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया है. तो आइए जानते हैं इस साल किन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने मोहर लगाई है…..
Year Ender 2023 : आइए जानते है इस साल के बड़े फैसले
नोटबंदी को जारी रखा
जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पांच न्यायाधीशों ने 4:1 बहुमत से 500 और 1000 रुपये के नोटों को छह साल पहले बंद करने का निर्णय को बरकरार रखा है. यह फैसला बहुमत की राय में निर्णय लिया गया कि 8 नवंबर 2016 की केंद्र की अधिसूचना वैध है और आनुपातिकता के नियमों को पूरा करती है.
जल्लीकट्टू को दी अनुमति
18 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू पर फैसला सुनाते हुए, जल्लीकट्टू, बैलगाड़ी दौड़, कंबाला और सांड़ों को वश में करने वाले खेलों को अनुमति प्रदान कर दी. आपको बता दें कि, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक की विधानसभाओं द्वारा पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 में किए गए संशोधनों को बरकरार रखा है.
दिल्ली सरकार के पास विधायिका की शक्तियां
दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच न्याय़ाधीशों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि मामलों को छोड़कर, दिल्ली के पास प्रशासनिक सेवाओं पर विधायिका और कार्यकारी शक्ति है.
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को दिया अनुचित करार
11 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि, एकनाथ शिंदे गुट की मांग पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाना उचित नहीं था. गौरतलब है कि उद्धव को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एकनाथ शिंदे की महाराष्ट्र सरकार को अयोग्य नहीं ठहरा सकता और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने के बजाय इस्तीफा देना चुना था.
मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर लगी रोक
2019 में एक राजनीतिक रैली में ‘मोदी सरनेम’ कहने पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को रोक लगा दी. गांधी की सजा पर अंतराल आने पर उनका लोकसभा सांसद का दर्जा पुनः प्राप्त हुआ. गुजरात की एक अदालत ने पहले उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, जिससे राहुल को सांसद बनने से अयोग्य कर दिया गया था.
अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को मिला हक
सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के मामले में फैसला सुनाया. कहा है कि, अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता – पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार है, वह चाहे स्व – अर्जित संपत्ति हो या पैतृक.
समलैंगिक विवाह के पक्ष में फैसला नहीं
समलैंगिक विवाह को लेकर चल रही बहस पर 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक जोड़े को विवाह करने के अधिकार या सिविल यूनियन बनाने के अधिकार को मान्यता देने से मना कर दिया. उनका कहना है कि इस पर कानून बनाने का काम संसद का है, सुप्रीम कोर्ट का नहीं.
मैला ढोने की प्रथा को किया खत्म
20 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मैला ढोने में होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसे निंदनीय प्रथा करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सीवर सफाई के दौरान मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए मुआवजा 30 लाख रुपये कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि, हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा. साथ ही उन लोगों को स्थायी विकलांगता का शिकार होने पर कम से कम 20 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए.
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अनुच्छेद 370 जम्मू – कश्मीर से रहेगा निरस्तत
11 दिसंबर को संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से बरकरार रखने का फैसला लिया है. इस लेख ने जम्मू-कश्मीर को विशिष्ट दर्जा दिया गया था.