Wuhan : चीन जैसा बड़बोलापन दिखा रहा है, असल में वैसा कुछ है नहीं, 76 दिनों के कड़े लॉकडाउन के बाद जब वुहान Wuhan जिसने पूरी दुनिया में पैनडेमिक फैलाया, खुला तो लोगों ने जश्न जरूर मनाया पर जिंदगी पटरी पर पूरी तरह आने में अभी कम से तीन साल तो लग ही जायेंगे।
वहां लोग सबसे ज्यादा इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं वायरस दुबारा न हमला कर दे। वहां के लोगों ने लाशों के ढेर देखे हैं।
जिंदगी इतनी जल्द पटरी पर नहीं
भारत सहित दुनियाभर के देशों में कोरोना वायरस लॉकडाउन में ढील शुरू हो गई है। इस बीच चीन के वुहान Wuhan से नजर आ रहे संकेतों से पता चला है कि वहां अभी जिंंदगी वापस पटरी पर आने में कई महीने लग सकते हैं।
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Wuhan कड़े लॉकडाउन के बाद खुला
घरों में बंद दुनिया के ज्यादातर लोग जल्द से जल्द यह खुशखबरी सुनना चाहते हैं कि कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया है और अब सामान्य जिंदगी शुरू होने वाली है। लेकिन क्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी पहले जैसी सामान्य हो जाएगी? इसका जवाब हमें महामारी के केंद्र रहे चीन के Wuhan से मिल सकता है। 8 अप्रैल को Wuhan में 76 दिन के बेहद कड़े लॉकडाउन को खत्म किया गया था।
जिंदगी पहले जैसी होने में अभी बहुत दूर
Wuhan में छूट मिलने के बाद भी वहां के हालात देखकर लगता है कि पहले जैसी जिंदगी अभी बहुत दूर है। असली लड़ाई तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरू हुई है। मीडिया रपटों के अनुसार वुहान के जमीनी हालात चीन के सरकारी दावों से बिलकुल उलट हैं। Wuhan के लोगों और व्यापारियों की नई जिंदगी बहुत कठिन है। शहर की रफ्तार धीमी है। लगभग आधी दुकानें अभी भी बंद हैं। रेस्तरां सिर्फ होम डिलिवरी से काम चला रहे हैं।
एक-दूसरे से मिलने से कतराते हैं
मास्क लगाकर निकलते लोग एक-दूसरे से मिलने में कतराते हैं। दूसरी ओर अधिकारी कह रहे हैं, ‘हमने दो तरफा जीत हासिल की है- जिंदगी और आर्थिक विकास फिर ने रफ्तार पकड़ ली है।’ हालांकि एक्सपर्ट इस दावे को झूठ बता रहे हैं। Wuhan के कई बड़े बिजनेसमैन कह चुके हैं कि वे भारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं। कंपनियों पर कर्ज बढ़ चुका है और उनका मुनाफा जीरो है।
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कर्मचारी बाहर निकलने में कतरा रहे
वुहान के बिजनसमैन का कहना है कि सबकुछ सामान्य होने में कई महीने लग सकते हैं। क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी अभी भी बाहर निकलने में कतरा रहे हैं। जब उनका डर खत्म होगा तो वे काम पर लौटेंगे। फिर कंपनियों का प्रॉडक्शन सुधरेगा। उसके बाद कहीं जाकर खपत बढ़ेगी। इस प्रक्रिया में तीन साल लग सकते हैं। इन सबके बीच लोगों के चेहरे पर कोरोना की दूसरी लहर आने का डर साफ दिखाई देता है।
छोटे धंधे डूब गए
लॉकडाउन खत्म होने के बाद कई रेस्तरां शुरू हुए थे। लेकिन कस्टमर नहीं आ रहे। रोजाना सिर्फ 2 से 3 ऑनलाइन ऑर्डर आए। ज्यादातर रेस्तरां दोबारा बंद हो गए। छोटी दुकानों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए वे बंद हैं। फिटनेस सेंटर, मूवी थिएटर भी नहीं खुले। बड़ी फूड चेन- स्टारबक्स, मैकडी, बर्गर किंग, केएफसी और पिज्जा हट ने अपने स्टोर खोले हैं। लेकिन लोगों को बैठकर खाने नहीं दिया जा रहा है। लोग स्टोर के बाहर खड़े होकर ऑर्डर ले जा सकते हैं या ऑनलाइन ऑर्डर करें।
लाखों मजदूर लौट गए हैं
चीन सरकार ने कहा है कि वह इंडस्ट्री से 3 महीने तक टैक्स या किराया नहीं वसूलेगी। लेकिन प्राइवेट मालिकों के यहां किराए पर बिजनेस चलाने वालों को कोई छूट नहीं मिल पा रही है। ऐसे में वे बिजनेस बंद करने को मजबूर हैं। लाखों मजदूर लौट गए, जिन्हें लौटने में पता नहीं कितना वक्त लगेगा। छोटे-मझोले कारोबार पूरी तरह ठप पड़ गए हैं। अब इन्हें काम शुरू करने के लिए पैसा जुटाने में भारी समस्या हो रही है। ऐसे में इनके खुलने की उम्मीद कम है।
सर्विस सेक्टर को लगेगा लंबा वक्त
दूसरी ओरे, एक्सपर्ट्स का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग भले ही धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ लेगी, लेकिन सर्विस सेक्टर को पटरी पर लौटने में लंबा समय लेगा। एक करोड़ 10 लाख आबादी वाला वुहान चीन का इंडस्ट्रियल शहर है। ज्यादातर प्रॉडक्ट यहीं बनते हैं, फिर यहां से पूरे चीन में भेजे जाते हैं। कड़े लॉकडाउन की वजह से सारी फैक्ट्रियां, इंडस्ट्री और ऑफिस बंद हो गए। लगभग आधी दुकानें अभी भी बंद हैं। रेस्तरां सिर्फ होम डिलिवरी से काम चला रहे हैं।
इससे जाहिर है कि वुहान की गाड़ी इतनी जल्द पटरी पर लौटने वाली नहीं है।
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