नवरात्रि का आठवां दिन करें मां महागौरी की पूजा, जानिए पूजाविधि और स्तुति मंत्र

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हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई थी. इस बार की चैत्र नवरात्रि बेहद खास है क्योंकि चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत हुई है. पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के दो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि. अष्टमी तिथि को माता महागौरी की उपासना की जाती है, इस दिन बहुत सारे लोग विशेष उपवास भी रखते हैं. अष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है.

दुर्गा अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त…

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च मंगलवार को शाम 07 बजकर 02 मिनट से शुरु हुई है और 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 मिनट पर इस ति​थि का समापन होगा. आज प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 13 मिनट तक शोभन योग है, वहीं रवि योग रात 08 बजकर 07 मिनट से 30 मार्च को प्रात: 06 बजकर 14 मिनट तक है. आज प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक भद्रा है.

दुर्गा अष्टमी 2023 मां महागौरी की पूजा विधि…

आज प्रात: काल में मां महागौरी की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं. उसके बाद मां महागौरी को पीले रंग के फूल, अक्षत्, कुमकुम, फल, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करें. मां महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा आप उनको पूड़ी, हलवा, काले चने, खीर आदि का भोग लगा सकते हैं.

मां महागौरी पूजा मंत्र…

ओम देवी महागौर्यै नमः. पूजा के समय में इस मंत्र का जाप करें.

दुर्गा अष्टमी 2023 कन्या पूजा और हवन…

दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के बाद हवन और कन्या पूजा करते हैं. दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करके उनसे अशीर्वाद लेते हैं. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए कन्या पूजन करते हैं.

मां महागौरी का स्वरूप…

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय के जन्मीं देवी पार्वती ने नारद जी के बताने पर भगवान शिव के लिए कठोर तप किया. उन्होंने हजारों वर्ष की कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया. तब शिव जी से उनको विवाह का आशीर्वाद प्राप्त हुआ. कठोर व्रत और तप से उनका शरीर बहुत ही कमजोर और काला पड़ गया था. तब भगवान शिव ने देवी पार्वती को वरदान दिया, जिसके फलस्वरुप उनको अत्यंत ही गौर वर्ण प्राप्त हुआ. यही देवी मां महागौरी कहलाईं.

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