विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला: सिया सोने की अंगूठी राम सावरों नगीना, राम, लक्ष्मण को देख मोहित हुआ जनकपुर

जब जनकपुर में प्रभु के चरण पड़े तो हर कोई उनका रंगरूप देख मंत्रमुग्ध हो गया

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यूनेस्को की सूची में दर्ज वाराणसी के रामनगर की शुक्रवार को हुई विश्व प्रसिद्ध रामलीला जनकपुर से जुड़ी थी. श्रीराम के रूप में खुद प्रभु जन्में थे. ऐसे में कौन उनके आभामण्डल से प्रभावित हुए बिना रह सकता था. हुआ भी कुछ ऐसा ही. जब जनकपुर में प्रभु के चरण पड़े तो हर कोई उनका रंगरूप देख मंत्रमुग्ध हो गया. स्त्रियां तो यह मान ही बैठी कि जानकी के योग्य अगर कोई है तो वह यही वर है. यहीं नही वो तो यहां तक कहने से भी नही चूकीं कि राजा जनक को अपनी प्रतिज्ञा तोड़ सीता का विवाह इन्ही से कर देना चाहिए. रामलीला के चौथे दिन जनकपुर में ऐसे ही भावपूर्ण प्रसंगों का मंचन हुआ.

जब जनकपुर देखने जाते हैं दोनों भाई

प्रसंग शुरू हुआ कि मुनि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के मन की बात जानने के बाद उनसे संकोच छोड़कर अपने मन की बात कहने को कहते हैं. जिस पर राम कहते हैं कि लक्ष्मण जनकपुर देखना चाहते हैं. लेकिन संकोच बस आपसे कुछ कह नही पा रहे हैं. अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं इनको जल्दी से नगर दिखा लाऊं. राम की बात सुनकर मुनि आज्ञा देते हैं. दोनों भाई जनकपुर देखने निकले तो उनको देखकर वहां की स्त्रियां उन पर मोहित हो गई और उनकी सुंदरता का बखान करने लगीं. अष्ठ सखी संवाद होता है. सीता की आठो सखियां अपने-अपने ढंग से उनकी सुंदरता का बखान करती हैं. कोई उन्हें कामदेव का अवतार तो कोई सीता के योग्य बताती हैं. सभी की कामना थी कि सीता का विवाह इन्ही से हो ताकि हम बार-बार इनके दर्शन कर सकें.

बालकों ने श्रीराम और लक्ष्मण को दिखाई रंगभूमि की संरचना

जनकपुर के बालक दोनों भाइयों को उस रंगभूमि की सरंचना दिखाते हैं जहां धनुष यज्ञ होना था. श्रीराम रंगभूमि की प्रशंसा करते हैं. दोनों भाई वापस मुनि विश्वामित्र के पास आकर संध्या वंदन करके शयन करने चले जाते हैं. प्रातः उठकर दोनों भाई मुनि के आज्ञा से उनके लिए पूजा के फूल लाने के लिए जाते हैं. उसी समय सीता जी सखियों के साथ मां गिरिजा के पूजन के लिए जाती हैं. सखियां उन्हें चारों ओर से घेरे रहती हैं. मां गिरजा की स्तुति करके सीता जी अपने लिए योग्य वर मांगती है. माता गिरिजा उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं. उसी समय सखियां एक बार फिर राम और लक्ष्मण की सुंदरता का बखान करते हुए उनसे कहती हैं कि मां गिरिजा का ध्यान बाद में करना पहले इन राजकुमारों को देखो. सीता जी आश्चर्यचकित होकर देखने लगती हैं. सीता के आभूषण की आवाज सुनकर राम का मन सीता के लिए लुभा जाता है. दोनों एक दूसरे को देखतें हैं. सीता वापस जनकपुर जाती हैं. दोनों भाई फूल लेकर मुनि के पास वापस आते हैं. इसके बाद आरती के साथ चौथे दिन की लीला को विश्राम दिया जाता है. उधर, रामलीला के नेमी और दूर-दराज से लीला देखने पहुंचे बनारसी ठाट में दिखे. टीका चंदन लगाये. परम्परागत गमछा लिये लीला शुरू होने से पूर्व मेला क्षेत्र में जम गये थे. पान घुलाये लीला प्रेमी भी आज की लीला देख परम आनंद को प्राप्त हो रहे थे.

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