काशी में नारी शिक्षा में ऊषामयी सेन का योगदान महत्वमपूर्ण : स्वामी भेदातीतांदन
वाराणसीः श्रीरामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी भेदातीतांदन ने किया. उन्होंने कहा कि नारी शिक्षा के लिए काशी का योगदान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है. इसी दिशा में बंगाल से आईं ऊषामयी सेन ने कन्या कुमार विद्या मंदिर की स्थापना की. काशी में नारी शिक्षा में ऊषामयी सेन का योगदान काफी महत्वपूर्ण है. स्वामी भेदातीतांदन गुरुवार को लक्ष्मी्कुंड स्थित कन्या कुमार विद्या मंदिर इंटर कालेज के स्थापना दिवस पर बोल रहे थे. इस मौके पर कालेज की संस्थापिका स्व . ऊषामयी सेन की प्रतिमा का अनावरण भी उन्होंने किया.
1922 में स्थापित हुआ यह विद्यालय
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रबंधक महेंद्र केशरी बनर्जी ने कहा क ऊषामयी सेन ने वर्ष 1916 में बाल विधवा होकर कोलकाता से काशी प्रवास के लिए आई थीं. उन्होंने यह विद्यालय अपनी पुनीत यात्रा विगत वर्ष 1922 में प्रारम्भ की थी. वह आधुनिक भारत के युगस्रष्टा युग पुरुष स्वामी विवेकानन्द जी के सुयोग्य शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा स्थापित माता शारदा विद्या मन्दिर, कोलकाता के प्रथम सत्र की छात्रा थीं. वह स्वामी विवेकानन्द जी के दीक्षित मंत्र -“आत्मा देहो मनः यत्र साधितम् तच्य शिक्षितम् के प्रति सजग हुईं. उसी के परिणाम स्वरूप रानी रासमनी जी के लक्ष्मीकुण्ड स्थित देवालय के सम्मुख उनके आवासीय भवन के तत्कालीन स्वामियों से कुछ स्थान की प्रार्थना की ताकि सर्वविद्या की राजधानी वाराणसी में वर्तमान प्रजन्म के बालिकाओं में “गार्गी,मैत्रेयी की संभावनाओं को खोजा व तराशा जा सके. इस संकल्प के फलस्वरूप विगत सन् 1922 के मातृ नवमी के दिन साध्वीं ऊषामयी सेन की कल्पना मूर्त हुई.
कुछ इस तरह बढ़ा विद्यालय का कुनबा
इस मौके पर उपस्थित विद्वानों द्वारा मार्ग निर्देशित करते हुए यह उद्घोष किया गया- “अयम् आरंभम शुभयः. कहा जाता है कि ऊषामयी सेन की जन्म तिथि भी मातृनवमी ही है. प्रारम्भ में कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा व्यवस्था के साथ सन् 1922 से 1942 तक विद्यालय का परिचय प्राथमिक विद्यालय के रूप में रहा. सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय महामना मदन मोहन मालवीय जी के कन्या शिक्षा की प्रेरणा मंत्र से विद्यालय के तत्कालीन प्रबन्धतंत्र ने संस्था को कक्षा 8 तक प्रोन्नत किया. स्वतंत्रता के बाद उसी प्रेरणा के फलस्वरूप हमें सन् 1949 में हाईस्कूल कला वर्ग की मान्यता प्राप्त हुई एवं संस्था का संशोधित नाम नारी शिक्षा मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के रूप में हुआ. विगत वर्ष 1956 में विद्यालय का प्रचलित नाम परिवर्तित होकर कन्या कुमारी विद्या मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय किया गया.
विजेताओं को किया गया सम्मानित
स्थापना दिवस पर छात्राओं ने कई सांस्कृ्तिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए. इस दौरान कालेज की मेधावी छात्राओं, खिलाड़ियों व विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृलत किया गया. इस दौरान अध्यिक्ष अशोक कांति चक्रवर्ती, उपाध्य क्ष अमिताभ भटटाचार्य, पूनम सिंह व डा. स्वरपना डे ने भी अपने विचार व्य क्त किए. कार्यक्रम का कुशलता के साथ सफल संचालन कोषाध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती ने किया.