वाराणसी: काशी नगरी को भोलेनाथ की नगरी भी कहा जाता है. काशी में भगवान शिव के विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा कौन नहीं जानता. परंतु काशी में ही शिवजी के पुत्र भगवान गणेश भी अपने विशेष रूप में स्थापित हैं. भगवान गणपति का यह विशेष और प्रमुख मंदिर है बड़ा गणेश. इन्हीं के नाम से लोहटिया के पास बड़ा गणेश मोहल्ले का नाम भी है. यहां इन्हें वक्रतुण्ड के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि गणपति जी की मूर्ति स्वयंभू हैं और उनके दो नहीं अपने पिता शिवजी की तरह ही 3 नेत्र हैं. सिंदूरी रंग के गणेश प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से ही मनुष्य के कष्ट दूर हो जाते हैं. माना जाता है कि बड़ा गणेश के दर्शन-पूजन से ही सारे रुके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं और तरक्की की राह आसान हो जाती है. गणपतिजी यहां अपनी पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान है. इस मंदिर में देवी मन्सा, संतोषी मां और हनुमान जी भी मूर्तियां मौजूद हैं. वहीं गर्भगृह में गणपति जी तो गर्भगृह के बाहर उनकी सवारी मूषकराज विराजमान हैं.
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क्या है इस मंदिर की मान्यता
भगवान गणेश का स्वंभू त्रिनेत्र प्रतिमा वाला यह मंदिर बनारस के लोहटिया नामक स्थान पर स्थित है. इन्हें बड़ा गणेशजी भी कहते हैं. मान्यता है कि काशी में गंगा मां के साथ मंदाकिनी नदी भी बहती थीं, उस समय भगवान गणेश की यह मूर्ति मिली थी. उस दिन माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का दिन था तब से इस दिन यहां मेले का आयोजन होता है.
ख़ास जो इस मंदिर को बनाती हैं दूसरे मंदिरो से अलग
खास बात ये है कि यह मंदिर 40 खंभों पर टिका है और मंदिर में 40 खंभे होना बहुत शुभ माना जाता है. मीनाकारी और पत्थरों को तराश कर इस मंदिर को बनाया गया है जो इस मंदिर को और भी खूबसूरत बनता है इस मंदिर में गणपति जी चांदी के छत्र के नीचे विराजमान हैं.
क्या हैं इस मंदिर का इतिहास
मंदिर का इतिहास 2000 साल पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि उस समय काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी का अस्तित्व था. उसी समय भगवान गणपति की ये प्राकृतिक प्रतिमा नदी से निकली थी. इसे अपने मूल रूप में आज भी मंदिर में देखा जा सकता है. 5.5 फुट बड़ी इस प्रतिमा के गणपति जी के 3 नेत्र हैं. गणपति यहां अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान है और त्रिनेत्र होने के कारण इस मंदिर का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की झोली गणपति जी जरूर भरते हैं.
इस तरह से करे बड़ा गणेश जी की पूजा
गणपति जी कि यहां पूजा जब भी करें तो पंचामृत से स्नान जरूर कराएं. इसके बाद दूर्वा और लड्डू का भोग लगाएं. यदि आप बड़ा गणेश से कोई मनोकामना पूरी कराना चाहते हैं तो बुधवार के दिन यहां आकर उनका विधिवत पूजन करें और उसके बाद उनसे अपनी कामना कहें. साथ ही यह भी वचन देकर जाएंगे कि यदि आपकी मनोकामना पूरी हुई तो आप फिर से विधिवत पूजन कर उनका आशीर्वाद लेने आएंगे.
क्या कहते हैं दर्शनार्थी
मंदिर के दर्शनार्थी आदित्य, सौरभ और पल्लवी ने बताया कि वह इस मंदिर में काफी वक़्त से आ रहे हैं. यहां आने से उनके जीवन में काफी परिवर्तन आया हैं. साथ ही उन्हें इस मंदिर में सकारत्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है. उनके जीवन की परेशानियां काम हुई हैं.
written by Harsh Srivastava