वायरलेस इयरफोन के इस्तेमाल से बढ़ता है ब्रेन कैंसर का खतरा, जानिए बचने का तरीका

वायरलेस हैडफ़ोन ने आज के समय में इस कदर लोगो में लोकप्रियता हासिल कर ली है की अब स्मार्टफोन भी ऑडियो जैक से दूरी बना रहे हैं।

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वायरलेस हैडफ़ोन ने आज के समय में इस कदर लोगो में लोकप्रियता हासिल कर ली है की अब स्मार्टफोन भी ऑडियो जैक से दूरी बना रहे हैं। मार्केट में कई तरह के नए इयरबड्स, एयरपॉड और वायरलेस नेकबैंड आ रहे हैं। हैडफ़ोन काफी तेज़, नेचुरल और कानों को सुकून देने वाली ऑडियो प्रदान करता है, लेकिन इनसे निकलने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन हेल्थ को बहुत ज्यादा नुकसान भी पहुंचाते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक वायरलेस हैडफ़ोन का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।

क्यों खतरनाक है वायरलेस इयरबड?

दरअसल वायरलेस हैडफ़ोन, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन की मदद से फोन या दूसरे उपकरणों से कनेक्ट होता है। ब्लूटूथ हेडफोन को दुसरे उपकरण से कनेक्ट होने के लिए किसी भी प्रकार के वायर या केबल की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिससे काम करते समय, एक्सरसाइज या वाकिंग के समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल काफी आसान होता है।

अमेरिका की द यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर जेरी फिलिप्स के रिसर्च के अनुसार इयरबड्स से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है। चूंकि छोटे इयरबड कान के अंदर इन्सर्ट किए जाते हैं इसलिए इससे निकलने वाली तरंगो से ब्रेन टिश्यू का काफी नुकसान पहुंचता है। जो कान और मस्तिष्क दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक:

कुछ रिसर्चर्स का मानना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान रेडिएशन वाले गैजेट्स का इस्तेमाल मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके वजह से बच्चे में एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने की आशंका होती है।

छोटे ब्लूटूथ हेडफोन से होने वाले नुकसान:

ब्रेन कैंसर: इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन मष्तिष्क के टिश्यू को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ ही यदि ब्रेन में किसी प्रकार का कोई पहले से ट्यूमर है तो उसको भी बढ़ा सकते हैं। जिससे ब्रेन कैंसर की संभावना बढ़ती है।

कान के पर्दे पर बुरा प्रभाव: हेडफोन के तेज साउंड से कान के परदे पर लगातार वाइब्रेशन होता है जिससे कान के पर्दे पर असर पड़ता है। इससे पर्दे के फटने की आशंका भी होती है।

सिर दर्द: वायरलेस इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से कई बार सिर दर्द या नींद न आने जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

टिनिटस: इयरफोन पर तेज साउंड सुनने से मरीजों को लगातार कान में एक तरह की ध्वनि सुनाई देने लगती है। डॉक्टरों के अनुसार इससे कानों में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आने जैसी समस्याएं आने की संभावना ज्यादा होती है।

कैसे बचाएं खुद को रेडिएशन से?

  • 10 इंच की दूरी पर फोन रख कर बात करें।
  • जरुरत न हो तो हैंडसेट, फोन, अन्य गैजेट्स को शरीर से दूर रखें।
  • अच्छी क्वालिटी के इयरफोन का ही इस्तेमाल करें।
  • दिनभर में 60 मिनट से ज्यादा इयरफोन का इस्तेमाल न करें और उपयोग में न होने पर वायरलेस डिवाइस को कान और सिर से हटा दें।
  • वायर्ड हेडफोन और स्पीकर का इस्तेमाल ज्यादा करें।

 

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