काल भैरव के मंदिर में चढ़ती है शराब
आपने बहुत सी ऐसी कहानियां सुनी या सुनाई होगीं जिसमें देवी-देवताओं को प्रसाद के रुप में अलग-अलग चीजें चढ़ाई जाती हैं। लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई देवी-देवता ऐसा भी है या मंदिर है जहां शराब चढ़ाई जाती है। आप को जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसा भी मंदिर है जहां प्रसाद के रुप में इस देवता को शराब चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि सिर्फ यहां शराब चढ़ती ही नहीं है बल्कि जिस देवता को चढ़ाई जाती है वो उस शराब को पीते भी हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर स करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काल भैरव के मंदिर में शराब प्रसाद के रुप में चढ़ाई जाती है। ये मंदिर करीब 6 हजार साल पुराना है। ये माना जाता है कि ये एक तांत्रिक मंदिर है।
बहुत पुराना है मंदिर
प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिको को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहां तांत्रिक क्रियाएं करते थे। कालान्तर में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। कुछ सालो पहले तक यहां पर जानवरों की बलि भी चढ़ाई जाती थी। लेकिन अब यह प्रथा बंद कर दी गई है। अब भगवान भैरव को केवल मदिरा का भोग लगाया जाता है। जो मदिरा काल भैरव को चढ़ाई जाती है वो कहां जाती है इसका अब तक किसी को पता नहीं चला है।
स्कंद पुराण में है मंदिर का जिक्र
मंदिर में शराब चढ़ाने की गाथा भी बेहद दिलचस्प है। यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण में इस जगह के धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके अनुसार, चारों वेदों के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए।
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ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवां मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्म हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली।
तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है। कालांतर में यहां एक बड़ा मंदिर बन गया। मंदिर का जीर्णोद्धार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।
अंग्रेज अधिकारी ने करवाई थी खुदाई
कहते हैं कि बहुत सालो पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने इस बात की गहन तहकीकात करवाई थी कि आखिर शराब जाती कहां है ? इसके लिए उसने प्रतिमा के आसपास काफी गहराई तक खुदाई भी करवाई थी। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। उसके बाद वो अंग्रेज भी काल भैरव का भक्त बन गया।
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