ये अनोखा सा मामला सामने आया है केरल हाईकोर्ट में जहां एक दंपत्ति ने अपने सात साल के बच्चे की सेक्स चेंज सर्जरी कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की है । हालांकि, इस मामले में केरल हाईकोर्ट मां-बाप द्वारा की गयी इस याचिका को खारिज कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही जज ने इस मामले में एक विचार कमेटी का गठन किए जाने के निर्देश जारी किये है ।
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दरअसल, इस मामले में जन्म से ही बच्चे के जननांग पूरी तरह विकसित नहीं हुए हैं। ऐसे में बच्चे के जननांग में क्लिटोरिस का आकार बड़ा है जो पुरुष जननांग जैसा है, वही बच्चे में गर्भाशय और अंडाशय के साथ – साथ मूत्राशय और योनि का निकास एक है और यहां से अलग नलिकाएं गर्भाशय और मूत्राशय को जाती हैं, जैसा महिलाओं में होता है । इस वजह से बच्चे के माता-पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके जननांग पुनर्निर्माण प्रक्रिया की अनुमति को लेकर केरल हाईकोर्ट में याचिका डाली थी, इस याचिका में उनकी मांग थी कि, वे अपने बच्चे को एक फीमेल के रूप में बदलना चाहते थे। जिसकी अनुमति न देते हुए कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दी है ।
जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी की अनुमति से बच्चे के अधिकारों का होगा हनन
याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि, ‘याचिकाकर्ताओं को अपने बच्चे पर नियोजित जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देना संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत उसके अधिकारों पर अतिक्रमण करेगा। न्यायमूर्ति अरुण ने राज्य सरकार को अंतरलिंगी बच्चों पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी के अनुरोधों की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक राज्य-स्तरीय बहु-अनुशासनात्मक समिति गठित करने का निर्देश दिया। समिति में एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक बाल एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, एक बाल रोग सर्जन और एक बाल मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक होना चाहिए।’
अदालत ने सरकार से मांगा आदेश
इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से शिशुओं और बड़े बच्चों पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी को विनियमित करने का आदेश मांगा है, इसके लिए अदालत ने सरकार को तीन महीने की अवधि भी दी है । इसमें अदालत की तरफ से कहा गया है कि, ‘जब तक विनियमन लागू नहीं हो जाता, तब तक ऐसी सभी सर्जरी केवल राज्य स्तरीय बहु-विषयक समिति की राय के आधार पर की जाएंगी।जिस बच्चे के माता-पिता ने याचिका दायर की थी, उसे जन्मजात एड्रेनल हाइपरप्लासिया का पता चला था। बच्चे के डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी, लेकिन कोई भी सर्जन कानूनी मंजूरी के बिना सर्जरी करने को तैयार नहीं था।’
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ऐसे बनता है बच्चे का लिंग
एग के फर्टिलाइज हो जाने के बाद ही शिशु का लिंग तय हो जाता है। सेक्स क्रोमोजोम से बच्चे का लिंग तय होता है। मां के एग में एक्स क्रोमोजोम होता है और पिता के स्पर्म में एक्स या वाई क्रोमोजोम होते हैं। जेनेटिकली अगर भ्रूण को पिता से एक्स क्रोमोजोम मिले तो लड़की होती है और अगर वाई क्रोमोजोम मिले तो लड़का होता है। गर्भाधान के समय बच्चे का लिंग निर्धारित हो जाता है, और भ्रूण में एक ही ऊतक से नर और मादा भ्रूण के विभिन्न जननांग विकसित होते हैं।