क्या भाजपा लगाएगी हैट्रिक, जिस सीट पर बाजपेई जी की जमानत हो गई थी जब्त

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देश में लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने के साथ ही सबसे बड़े राज्य यूपी में 7 चरणों में होने वाले मतदान के पहले चरण के लिए आज मतदान कड़ी सुरक्षा के बीच जारी है. वहीं अब दूसरे चरण के चुनाव के लिए सियासी हलचल भी तेज हो गई है. राजनीतिक पार्टियां बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जी-तोड़ मेहनत में जुट गई हैं. ऐसे में आपको हम बताने जा रहे हैं जर्नलिस्ट कैफे के खास शो ‘सीट का समीकरण’ में मथुरा लोकसभा सीट के बारे में…

जातीय समीकरण …

इस सीट में जातीय समीकरण की बात करें तो यहां जाट और ब्राह्मणों की सामान भागेदारी है. आंकड़ों के मुताबिक मथुरा में करीब 20 लाख मतदाता हैं. इस सीट पर जाट मतदाताओं की संख्या 3 लाख 50 हजार हैं. जबकि, ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख है. वहीं प्रदेश में जाटव और मुस्लिम की संख्या करीब डेढ़ लाख हैं. मथुरा लोकसभा सीट पर वैश्य मतदाता करीब एक लाख हैं. यादव मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार है.

आजादी के बाद अस्तित्व में आई…

मथुरा लोकसभा सीट का गठन पहली बार 1952 हुआ और निर्दलीय उम्मीदवार राजा गिरराज सरन सिंह की जीत हुई थी. वहीं,1957 में अटल जी जनसंघ पार्टी से चुनाव लड़े और हार गए. इतना ही नहीं अटल जी की जमानत भी जब्त हो गयी थी. यही नहीं यह सीट BJP का गढ़ मानी जाती है क्योंकि सीट गठन के बाद से अब तक बीजेपी यहां 6 बार चुनाव जीत चुकी है.

मथुरा का इतिहास…

अगर मथुरा के इतिहास की बात करें तो यहां कई मंदिर हुआ करते थे लेकिन महमूद गजनवी और सिकंदर लोदी ने इन मंदिरों को नष्ट करा दिया था. जबकि मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासन काल में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.

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अगर लोकसभा 2024 की बात करें तो बीजेपी की तरफ से हेमा मालिनी और INDIA गठबंधन की तरफ से मुकेश धनगर तथा बसपा की तरफ से सुरेश सिंह मैदान में है. हेमा मालिनी दो बार से यहां सांसद हैं.

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