जानें, प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा- जान भी जहान भी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ‘जान भी और जहान भी’ की बात पर जोर दिया। तीन हफ्ते पहले उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में ‘जान है तो जहान है’ का संदेश दिया था। आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार अपने संदेश में जान और जहान दोनों पर जोर क्यों देने की बात की है। क्या प्रस्तावित लॉकडाउन पार्ट 2 को लेकर मोदी की नई रणनीति इसी जान और जहान के संदेश में छिपी है। प्रधानमंत्री मोदी के इस संदेश के अब मायने तलाशे जा रहे हैं।

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माना जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद बढ़ने जा रहे लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी नई रणनीति अपनाते हुए नए दिशा-निर्देश जारी करेंगे। खास बात है कि पीएमओ सूत्रों ने सोमवार से मंत्रियों और ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल के अफसरों को मंत्रालयों में बैठकर काम करने को कहा है। इससे सरकार की आगे की रणनीति पता चल रही है।

संपूर्ण लॉकडाउन में मिल सकती है ढील

सूत्रों का कहना है कि तीन हफ्ते बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जान है तो जहान है’ को जान भी और जहान भी में बदल दिया, उससे पता चलता है कि इसी संदेश में उनकी आगे की रणनीति छिपी है। मसलन, अब सरकार का फोकस जान बचाने के साथ ही लॉकडाउन के कारण ठंडे पड़ चुके उन कल-कारखानों और सरकारी और निजी दफ्तरों को कुछ शर्तो के साथ फिर से खोलने पर होगा।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते शुक्रवार को एमएसएमई मंत्रालय के अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी मीटिंग लेकर उन्हें कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया था कि कैसे लॉकडाउन के दौरान भी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को जारी रखा जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि लॉकडाउन लंबा खिंच गया है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दो सप्ताह तक लॉकडाउन बढ़ाने की मांग की है। ऐसे में करीब 30 अप्रैल तक लॉकडाउन रह सकता है। लॉकडाउन की बंदिशों के कारण जरूरी सामानों को बनाने वाले कल-कारखानों का भी संचालन प्रभावित हुआ है। ऐसे में अगर कल-कारखानों का समुचित संचालन और समय के लिए टला तो सप्लाई चेन टूट सकती है। जिससे मांग और पूर्ति की खाई बढ़ने पर आम जनता को दिक्कतें होंगीं। इसको लेकर उन औद्यौगिक इकाइयों को कुछ छूटों के साथ संचालित करने की तैयारी है, जहां सोशल डिस्टैंसिंग का पालन हो सकेगा। सरकार ने राज्यों से भी कहा है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े कार्यों को सोशल डिस्टैंसिंग के साथ शुरू कराने पर जोर दिया जाए।

जिलों के हिसाब से हो सकता है फैसला

पहले कोरोना के सामने आए केसेजे के आधार पर जिलों के हिसाब से लॉकडाउन लगा था। बाद में इसे संपूर्ण लॉकडाउन में बदल दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि 14 अप्रैल के बाद बढ़ने जा रहे दूसरे चरण के लॉकडाउन के दौरान देश को कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर रेड, यलो और ग्रीन सेक्टर में बांटा जा सकता है। जहां एक भी केस नहीं होगा उसे ग्रीन जोन में रख सकते हैं, वहीं जहां पर ज्यादा केसेज आएं हैं उसे रेड और कम खतरे वाले जिलों को यलो जोन में रख सकते हैं। रेड जोन में पूर्ण लॉकडाउन रहेगा तो ग्रीन जोन में कुछ ढील दी जा सकती है। मसलन, बाहर से आने वालों पर रोक लगाते हुए वहां स्थानीय रोजगार की गतिविधियां पहले की तरह संचालित करने की छूट दी सकती है। ग्रीन जोन वाले जिलों के सरकारी दफ्तरों में पहले की तरह काम शुरू करने की व्यवस्था हो सकती है।

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क्या कहा पीएम मोदी ने?

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्रियों से कहा था, “पहले हमारा मंत्र था जान है तो जहान है, लेकिन अब मंत्र हो गया है जान भी जहान भी। जब मैंने राष्ट्र के नाम संदेश दिया था, तो प्रारंभ में बल दिया था कि हर नागरिक की जान बचाने के लिए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन बहुत आवश्यक है। देश के अधिकतर लोगों ने बात को समझा और घरों में रहकर दायित्व निभाया।”

पीएम मोदी ने फिर कहा, “अब भारत के उज्‍जवल भविष्य के लिए, समृद्ध और स्वस्थ भारत के लिए जान भी जहान भी, दोनों पहलुओं पर ध्यान आवश्यक है। जब देश का प्रत्येक व्यक्ति जान भी और जहान भी, दोनों की चिंता करते हुए अपने दायित्व निभाएगा, सरकार और प्रशासन के दिशा-निदेशरें का पालन करेगा।”

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