दुनिया में Extreme Weather Conditions क्यूँ?

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बीते कुछ हफ़्तों में पूरी दुनिया ने एक्सट्रीम वेदर कंडिशन्स का सामना किया. यूरोप और एशिया में भारी बारिश, अफ्रीका में सुखा और नार्थ अमेरिका में हीट वेव.

हालांकि साइंटिफिक एविडेंस ने इसकी पुष्टि में बताया की ऐसा क्लाइमेट क्राइसिस की वजह से हो रहा है. इतना ही नहीं बल्कि ये भी चेताया कि आने वाले सालों में मौसम का मिजाज़ कुछ ऐसा ही देखने को मिलेगा.

भारी बारिश, बाढ़ और हीट वेव का सामना कर रहा यूरोप 

पश्चिम यूरोप में बाढ़ के कारण कई जाने गई ऐसा माना जा रहा है. बेल्जियम, लेक्सौम्बौर्ग, जर्मनी में पिछले दो महीने की बारिश मात्र दो दिन में हो गई. वही फ़िनलैंड यानी उत्तरी यूरोप में पिछले एक महीने से गर्मी बेहद बेरहम होती जा रही है.
25.1c को फ़िनलैंड का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया गया टेम्परेचर माना जाता है. गैरतलब है कि पिछले महीने ये आकड़ा पार हो चूका है और आशंका है की ये और बढेगा भी.
Extreme Weather

गर्मी के बाद एशिया में बारिश का कोहराम 

बाढ़ की स्थिति ने भी एशियाई देशों को अपना शिकार बनाया. चाइना, इंडिया, इंडोनेशिया को इन दिनों भारी बारिश के साथ बाढ़ का भी सामना करना पड़ा. बिहार, हिमांचल प्रदेश में बदल फटने से कईयों की जान भी चली गई.

लेकिन ऐसा हुआ क्यूँ?

इन सभी चीजों को समझने के लिए आप सिर्फ क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन के इम्पैक्ट को समझिये.
1) अधिकतम तापमान में वृद्धि
2) न्यूनतम तापमान में वृद्धि
3) बढ़ता समुद्र का स्तर
4) समुद्र का उच्च तापमान
5) भारी बारिश में वृद्धि
6) सिकुड़ते ग्लेशियर
7) पिघलता पर्माफ्रॉस्ट
इन चीजों को रोकने के लिए हम सब के पास साधन है लेकिन उन साधनों का इस्तेमाल करना बड़ी बात है.

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