फ्रांस में क्यों मनाया जाता है बैस्टिल दिवस? मोदी होंगे गेस्ट ऑफ ऑनर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल फ्रांस में बैस्टिल डे परेड में सम्मानित अतिथि होंगे. उनके स्वागत के लिए फ्रांस में जबरदस्त तैयारियां की गई हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने पीएम मोदी को बैस्टिल डे परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. खास बात यह है कि बैस्टिल डे पर भारतीय सेना की टुकड़ी भी मार्चिंग टुकड़ी का हिस्सा होगी. जो बैस्टिल डे पर अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ परेड में हिस्सा लेगा. पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के एक नए चरण की शुरुआत होने की उम्मीद है.

फ्रांस में बैस्टिल डे परेड को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दुनिया की सबसे पुरानी सैन्य परेडों में से एक है, जिसका आयोजन 14 जुलाई को किया जाता है. हर साल बैस्टिल दिवस पर, पेरिस के प्रसिद्ध एवेन्यू डेस चैंप्स-एलिसीस पर एक सैन्य परेड होती है, इस दिन यहां वैसा ही नजारा देखने को मिलता है, जैसा भारत में गणतंत्र या स्वतंत्रता दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर देखने को मिलता है.

फ्रांस में बैस्टिल दिवस का इतिहास क्या है?

बैस्टिल दिवस को एक तरह से फ्रांस की क्रांति के रूप में भी समझा जाता है. बैस्टिल वास्तव में एक किला या जेल था, जहां पर राजा के आदेश अनुसार कैदियों को सजा दी जाती थी. इनमें राजनीतिक कैदी भी थे. सत्रहवीं सदी में बैस्टिल का खूब खौफ था. लेकिन 14 जुलाई 1789 को राजशाही विरोधी क्रांतिकारियों ने इस पर हमला कर दिया. इस दौरान क्रांतिकारियों ने 7 कैदियों की जान भी बचाई. इस प्रकार इस दिन बैस्टिल का किला ध्वस्त कर दिया गया. और तभी से फ्रांस की आम जनता इसे विजय दिवस के रूप में मनाती है.

बैस्टिल पर कब्ज़ा फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का संकेत था. इस प्रकार यह प्राचीन राजशाही शासन के अंत का प्रतीक बन गया. यही वजह है कि बैस्टिल दिवस पर फ्रांस में लोकतंत्र की आजादी का जश्न जैसा माहौल रहता है. खासतौर पर पेरिस को रंगीनियों से सजाया जाता है. जगह-जगह अनोखी सजावटें होती हैं. आतिशबाजियां भी देखी जाती है. सैन्य परेड होती है. आकाश में वायु सेना के जवान करतब दिखाते हैं.

बैस्टिल दिवस पर होता है नेशनल होली डे…

बैस्टिल दिवस पर देशभर में छुट्टी होती है. इस दिन राष्ट्रीय अवकाश को आधिकारिक तौर पर सन् 1880 में ही शुरू कर दिया गया था. शुरुआत से ही इस दिन आतिशबाजी और सैन्य परेड होने लगी. सार्वजनिक जश्न के अलावा देश के नाम संबोधन भी इस दिन का खास कार्यक्रम है. पहले 14 तारीख के विशेष आयोजन के अलावा पूरे जुलाई माह में नृत्य, गायन और मनोरंजन आदि का आयोजन किया जाता था, लेकिन बाद में इसे केवल एक दिन तक सीमित कर दिया गया. कोरोना काल में बैस्टिल डे पर असर पड़ा लेकिन एक बार फिर फ्रांस पहले की तरह जश्न मनाने के लिए तैयार है.

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