हर साल धनतरेस के दिन धन्वंतरी जयंती के अवसर पर आयुर्वेदिक दिवस मनाया जाता है, जिसकी शुरूआत साल 2016 से की गई है. इस साल हम आयुर्वेदिक दिवस की नौवीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इसके साथ ही इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य आपको इसके नाम से समझ ही आ गया होगा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य आयुर्वेद को बढावा देना है. साथ ही इससे जुड़े लोगों और उद्दमियों को नए कारोबार के नए अवसर प्रदान करना और उसके प्रति जागरूक करना है.
हर साल आयुष मंत्रालय धन्वंतरि जयंती यानी धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाता है. इसकी महत्ता इसलिए भी है कि, जब लोगों को दवाओं की समझ नहीं थी तो आयुर्वेद से ही रोगों का उपचार किया जाता जिसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं था. दूसरी ओर इसे धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है और धन्वंतरी कौन थे ? आइए जानते हैं…
कौन थे धन्वंतरी ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, धन्वंतरी भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वें अवतार थे. बताते हैं कि, इनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. समुद्रमंथन के दौरान 14 प्रमुख रत्न निकले थे, जिसमें 14वें रत्न के रूप में भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए थे. उस दौरान उनके हाथ में अमृतकलश था. वहीं चार भुजाधारी भगवान धन्वंतरि के एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख था. धन्वंतरी ने ही दुनिया के कल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की और दुनियाभर की औषधियों पर गहन अध्ययन किया. इसके बाद उन्होंने इन औषधियों के अच्छे और बुरे प्रभाव को अपने द्वारा रचित ग्रंथ धन्वंतरि संहिता में बताया था. महर्षि विश्वामित्र के पुत्र सुश्रुत ने धन्वंतरि से ही आयुर्वेद की शिक्षा ग्रहण की और आयुर्वेद के ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की.
धनतेरस के दिन क्यों मनाया जाता है आयुर्वेदिक दिवस ?
आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता है क्योंकि यह दिन आयुर्वेद के पितामह धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है. धन्वंतरि को आयुर्वेद का अवतार माना जाता है और उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है. धनतेरस के दिन लोग आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संकल्प लेते हैं. यह दिन आयुर्वेद के महत्व को बढ़ावा देने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने का अवसर भी है.
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आयुर्वेद दिवस का इतिहास
बात करें अगर आयुर्वेद दिवस के इतिहास की तो, इसका इतिहास बहुत पुराना नहीं है.साल 2016 में भारत सरकार मंत्रालय ने भगवान धन्वंतरि की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाए जाने का ऐलान किया था. इसके साथ ही पहला आयुर्वेद दिवस 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था. तब से हर साल धन्वंतरि की जयंती पर आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. इस साल हम नौवां आयुर्वेद दिवस मना रहे हैं. इस दिवस पर हर साल की अलग थीम निर्धारित की जाती है. इस साल यह दिवस ”वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” की थीम पर मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कॉलेज, अस्पताल और शिक्षण संस्थान मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं. इस दिन का उद्देश्य आयुर्वेद का प्रचार करना है.