भारत एक विविध संस्कृति और सभ्यताओं वाला देश है यहां हर धर्म और संप्रदाय के अपने रस्म-रिवाज और परम्पराएं देखने को मिलती है। यही कारण है कि भारत पूरी दुनिया में अपनी संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है। यहां हर धर्म के अपने तौर-तरीके और रीति-रिवाज हैं जिनका अपना महत्व है । ऐसे ही कुछ अलग अलग रीति रिवाज विभिन्न संप्रदायों के वैवाहिक कार्यक्रमों में भी देखे जाते हैं ।
दरअसल हर धर्म सम्प्रदाय में शादी को लेकर अलग-अलग रस्में हैं। ऐसे ही हिंदू धर्म में होने वाली शादियों के भी अपने रीति-रिवाज और रस्में हैं। इसी में से एक विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म है। दुल्हन जब अपने मां बाप का घर छोड़कर पति के घर जाने के लिए घर से निकलती है तो इस दौरान दुल्हन पीछे की ओर चावल फेंकती है। दुल्हन द्वारा ऐसा करना शुभ माना जाता है।
जानिए क्या है चावल फेंकने की परंपरा:
वैसे तो शादी की हर एक रस्म अपने आप में खास और पवित्र माना जाता है लेकिन चावल फेंकने वाली रस्म हर दुल्हन और उसके परिजनों के लिए एक भावुक क्षण होता है क्योंकि दुल्हन हमेशा के लिए अपना मायका छोड़कर ससुराल चली जाती है। इस रस्म को दुल्हन के डोली में बैठने से ठीक पहले किया जाता है। इस रस्म में दुल्हन जब घर से बाहर निकलने लगती है तो उसकी बहन, सहेली या घर की कोई महिला चावल की थाली अपने हाथों में लेकर उसके पास खड़ी हो जाती है इसके बाद दुल्हन हाथों में चावल लेकर पीछे की तरफ पांच बार फेंकती हैं। चावल को इस प्रकार फेंकना होता है कि पीछे खड़े सभी लोगों के पास चावल के दाने पहुंच जाएं।
चावल फेंकने के पीछे की वजह:
हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार बेटी घर की लक्ष्मी होती है। ऐसे में जिस घर में बेटियां होती हैं वहां हमेशा मां लक्ष्मी वास करती हैं। यही नहीं उस घर में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं। माना जाता है कि जब दुल्हन पीछे की तरफ चावल फेंकती है तो इसके साथ वो अपने घर के लिए हमेशा धन-धान्य से भरे रहने की कामना करती है।
एक मान्यता ये भी है कि भले ही बेटी अपने मायके को छोड़कर जा रही हो, लेकिन वो अपने मायके के लिए इन चावलों के रूम में दुआ मांगती रहेगी। ऐसे में दुल्हन द्वारा फेंके गए चावल हमेशा मायके वालों के पास दुआएं बनकर रहते हैं।
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