…जब पेश होने से पहले ही लीक हो गया था बजट !
बात साल 1950 की है, जब हाल ही में देश को आजादी मिली थी. आजादी के बाद का यह पहला बजट था , जिसकी तैयारी जोरों से की गई थी. साथ ही नीति निर्माण और विकास की दिशा अभी तय करनी शेष थी. यही वजह थी कि इस बजट की अहमियत कहीं ज्यादा थी. यह बजट उस समय तत्कालीन वित्तमंत्री जॉन मथाई पेश करने वाले थे, जो इससे पहले साल 1949 और 50 में बजट पेश कर चुके थे.
लेकिन इस साल का बजट पेश करने से पहले उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि, उनकी एक गलती उन्हें कितनी बड़ी मुश्किल में डाल सकती है. यह बतौर वित्तमंत्री उनका आखिरी बजट होगा ये तो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. दरअसल जब वह बजट पेश करने संसद भवन जा रहे थे, उसी दौरान बजट के कुछ हिस्से लीक हो गए. जब मथाई संसद भवन पहुंचे तो, विपक्ष ने उनको घेरना शुरू कर दिया और हंगामा करने लगे. उस दौरान मथाई पर आरोप लगाया गया कि वे बडी शक्तियों के हित साध रहे हैं. उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार ऐसे आरोप लगाए जाए. नतीजतन, मथाई का दूसरा बजट उनका अंतिम बजट साबित हुआ और उसके बाद उन्हें वित्त मंत्री पद छोड़ना पड़ा.
बजट लीक के बाद सरकार ने क्या लिया एक्शन
वैसे यह देश का केंद्रीय बजट लीक होने का पहला मामला नहीं था. इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके षणमुखम चेट्टी ने 1947–1948 का पहला बजट पेश किया था. वह ब्रिटिश समर्थक जस्टिस पार्टी के नेता थे. दूसरी ओर बजट पेश करने से पहले ब्रिटेन के वित्त मंत्री ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार से बातचीत में भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले कुछ टैक्स बदलावों के बारे में बता दिया . इसके बाद पत्रकार ने वित्त मंत्री ह्यूग डाल्टन के इस बयान को अखबार में छाप दिया.
ऐसे में आजादी के बाद तीन में से दो बजट का लीक हो जाना सरकार के लिए काफी चिंता का विषय बन गया था. ऐसे में जरूरी था कि इसको लेकर सख्त फैसले लिए जाएं. इस विषय पर सख्त फैसला लेने के लिए बैठक बुलाई गई. बैठक में विचार – विमर्श किया गया कि कैसे बजट की गोपनीयता बचाई जाए ? क्योंकि अंतरिम बजट का प्रभाव आम जन से लेकर कारोबारी तक सभी पर पड़ता है. वहीं बजट लीक होने से सरकार की भी छवि खराब होती है, कैसे इसे सुरक्षित रखा जाएं ?
कैसे लीक होता है बजट, किया गया विचार ?
सरकार ने पहले बजट लीक होने के कारणों पर विचार किया. उस समय बजट राष्ट्रपति भवन में तैयार किया जाता था. वहीं से उसका एक हिस्सा चोरी हो गया था. ऐसे में निर्णय हुआ कि बजट छापने के लिए अलग जगह होनी चाहिए. इसके बाद प्रिंटिंग के स्थान को बदल दिया गया और नई दिल्ली के मिंटो रोड पर बजट छापा जाने लगा. साल 1951 से 1980 तक बजट मिंटो रोड वाली प्रेस में छापा गया. इसके बाद बजट लीक होने की आशंका को कम करने के लिए, पुराने संसद भवन में वित्त मंत्रालय के मुख्यालय, नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में एक सरकारी स्थापित किया गया. ताकि बजट लीक होने की समस्या में कमी आए या खत्म हो जाएं.
वित्त मंत्रालय के सदस्य बजट से पहले क्यों हो जाते हैं क्वारंटीन
बजट पेश होने से कुछ हफ्ते पहले वित्त मंत्रालय पूरी तरह से क्वारंटीन हो जाता है. वहां मीडिया और अन्य आगंतुकों के प्रवेश पर कड़ी रोक होती है. पूरी बजट टीम (वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ) इस दौरान किसी से बात नहीं कर सकती है. यहां तक टीम के सदस्यों न तो अपने परिवार से मिलने दिया जाता है और नहीं बात करने की इजाजत दी जाती है. यदि टीम के मेंबर में से कोई आपातकालीन परिस्थिति में है, तो वह परिजनों को एक विशिष्ट नंबर पर संदेश भेज सकते हैं. वे उनसे सीधे नहीं बोल सकते हैं.’
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सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था
इस दौरान वित्त मंत्रालय के प्रवेश द्वार और बाहर की ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू रहती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो, दिल्ली पुलिस की मदद से बजट बनाने में शामिल लोगों पर कड़ी नजर रखता है. बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की निगरानी करने वाली एक खुफिया टीम फोन कॉल पर भी नजर रखती है, जो संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में होती है. वित्तमंत्री को संसद में बजट भाषण देने के बाद ही सार्वजनिक जीवन में वापस आना पड़ता है.