बीएचयू के पेपर में जब पूछा,” तीन तलाक और हलाला एक समाजिक बुराई

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बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में पूछे गए एक प्रश्न पर सवाल उठने लगे हैं। इतिहास विभाग के एमए 3rd सेमेस्टर के परीक्षा में इस्लाम में तीन तलाक और हलाला एक समाजिक बुराई है। इस विषय पर निबंध लिखने का सवाल पूछा गया था। ये पेपर 22 नवंबर को ‘सोसायटी ऑफ कल्चर एंड रिलिजन इन मेडवल ऑफ इंडिया’ विषय के पेपर पर पूछा गया था। इसके बाद कई कट्टरपंथी संगठनों ने बवाल करते हुए आपत्ति दर्ज कराई है। इतिहास के इस प्रश्न पत्र में सवाल पूछा गया है कि जिल्ले अल्लाह क्या है? इस्लाम में हलाला क्या है? अलाउद्दीन खिलजी द्वारा नियत की गई गेंहू की क्या कीमत थी?

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विश्वविद्यालय ने दी सफाई

विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर, राजीव श्रीवास्तव ने कहा- “अगर छात्रों को सिखाया नहीं जाता है और ऐसी चीजों से पूछा जाता है कि वे इसके बारे में कैसे जान पाएंगे? जब वे मध्ययुगीन इतिहास पढ़ाते हैं तो ये चीजें अपने आप में एक हिस्सा बन जाती हैं। इतिहास विकृत हो चुका है, हमें असली इतिहास जानने के लिए उन्हें चीजों को सिखाने की जरूरत है।

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मुस्लिम महिला फांउडेशन ने कहा

मुस्लिम महिला फांउडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी का कहना है- “हम इसका समर्थन करते हैं। हलाला को सिर्फ पेपर में नहीं बल्कि कैंपेन करके सबको बताना चाहिए। ये मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप है।

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पहले भी पूछे गए थे ऐसे सवाल

इससे पहले राजनीति शास्त्र विभाग के एमए-प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में ‘भारतीय राजनीतिक प्रणाली: सैद्धांतिक और संरचनात्मक पहलू’ विषय के पेपर में छात्रों से भारतीय जनता पार्टी पर निबंध लिखने को कहा गया था। इसके लिए 15 अंक निर्धारित रहे। इसी तरह दिल्ली में शासन कर रही आम आदमी पार्टी के बारे में छात्रों को लिखने को कहा गया, लेकिन इसपर महज दो अंक थे। इस दौरान परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के मुताबिक सवाल बहुत आसान रहे, पर सीधे के बजाए यह विश्लेषणात्मक होना चाहिए था।

साभार: ( www.dainkbhaskar.com)

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