विदेश में हो तिरंगे का अपमान पर क्या है नियन, भारत में इसको लेकर क्या प्रव्याधान

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खालिस्‍तान समर्थकों ने ब्रिटेन में भारत के राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगे का अपमान किया. ब्रिटेन में भारतीय उच्‍चायोग पर लहरा रहे तिरंगे के अपमान का वीडियो वायरल होने के बाद भारत समेत दुनियाभर में इस घटना की जमकर आलोचना हो रही है. केंद्र सरकार ने भारत के राष्‍ट्रध्‍वज के अपमान की कड़ी निंदा की है. सोशल मीडिया पर लोग तिरंगे का अपमान करने वाले खालिस्‍तान समर्थकों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. लेकिन क्‍या ये संभव है कि तिरंगे के अपमान पर जैसी सजा भारत में दी जा सकती है, वैसी ही कार्रवाई विदेश में भी भारतीय राष्‍ट्रध्‍वज के सम्‍मान को ठेस पहुंचाने पर दी जा सके?

विदेश में भारत के राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान होने पर संबंधित देश की क्‍या जवाबदेही होती है? क्‍या भारत सरकार संबंधित देश पर तिरंगे के सम्‍मान की रक्षा नहीं कर पाने के लिए कोई कार्रवाई कर सकता है? फिलहाल, लंदन में हुई घटना के सिलसिले में भारत सरकार ने दिल्‍ली में ब्रिटिश राजनयिक को तलब कर खालिस्‍तानियों की इस हरकत पर सख्‍त ऐतराज जता दिया है. साथ ही विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन से पूछा गया है कि लंदन में भारतीय उच्‍चायोग परिसर में खालिस्‍तान समर्थकों को घुसने की अनुमति किसने दी थी?

भारत में तिरंगे के अपमान पर कितनी सजा?…

सबसे पहले जानते हैं कि अगर कोई व्‍यक्ति भारत में नेशनल फ्लैग का अपमान करता है तो उस पर किस तरह की कार्रवाई की जाती है? भारत में तिरंगे का अपमान करने वाले व्‍यक्ति के खिलाफ नेशनल फ्लैग कोड के तहत सख्‍त कार्रवाई की जाती है. भारतीय झंडा संहिता के नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्‍यक्ति तिरंगे का जानबूझकर अपमान करता है तो उसे 3 साल तक कैद की सजा देने की व्‍यवस्‍था है. नेशनल फ्लैग कोड में राष्‍ट्रध्‍वज के तीन रंगों के बारे में काफी कुछ बताया गया है. साथ ही इसमें तिरंगे को फोल्‍ड करने का सही तरीका भी बताया गया है.

नेशनल फ्लैग कोड बताता है आपकी जिम्‍मदारी…

नेशनल फ्लैग कोड में उन जगहों के बारे में भी बताया गया है, जहां तिरंगा 24 घंटे और सातों दिन फहराया जा सकता हे. वहीं, ये भी बताया गया है कि खास दिनों पर इसे कब तक फहराए रखना है और कब उतारकर सम्‍मान के साथ रख देना है. भारतीय झंडा संहिता के अनुसार, भारत का नागरिक होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि अपने घर या आसपास देश के झंडे का अपमान नहीं होने दें. अगर कोई गलती से भी झंडे का अपमान करता है तो उसे सही तरीका बताएं. अगर कोई जानबूझकर अपमान या गलत इस्‍तेमाल कर रहा है तो तुरंत नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं.

विदेश में अपमान पर क्‍या कर सकता है भारत…

अब बात करते हैं कि विदेश में तिरंगे का अपमान होने पर भारत सरकार क्‍या-क्‍या कर सकती है? सबसे पहले भारत सरकार जिस देश में तिरंगे का अपमान हुआ है, उसके दिल्‍ली में मौजूद राजनयिक को तलब कर अपना ऐतराज जताते हुए जवाब तलब कर सकता है. मौजूदा मामलों में भी केंद्र सरकार ने सबसे पहले यही कदम उठाया. दरअसल, अंतरराष्‍ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत हर देश को अपनी जमीन पर मौजूद भारतीय प्रतीक चिह्नों और संपत्तियों की पूरी सुरक्षा करनी होती है. यह सभी देशों की सबसे पहली जिम्‍मेदारी होती है.

दूसरे देश से क्‍या सवाल पूछ सकता है भारत?

अगर किसी देश में भारत से जुड़े किसी भी प्रतीक चिह्न या संपत्ति को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाया जाता है तो विदेश मंत्रालय सीधे उस देश से जवाब तलब कर सकता है. भारत सरकार संबंधित देश से पूछ सकती है कि घटना क्‍यों हुई? घटना में शामिल लोगों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की गई? सुरक्षा में सेंध के लिए कौन जिम्‍मेदार है? उन लोगों पर क्‍या कार्रवाई की जा रही है? भविष्‍य में ऐसी घटनाओं के दोहराव से बचने के लिए क्‍या इंतजाम किए जा रहे हैं? कुछ मामलों में संबंधित देश से घटना को नहीं रोक पाने के लिए माफी मांगने को भी कहा जाता है.

दूसरे देशों की क्‍या होती है जवाबदेही?

भारतीय प्रतीक चिह्नों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने पर भारत सरकार की ओर से ऐतराज जताए जाने के बाद कार्रवाई करना या नहीं करना संबंधित देश पर निर्भर करता है. अगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती तो ये मान लिया जाता है कि संबंधित देश अपमान करने वाले व्‍यक्ति या समूह को हरकतें करने से रोकने की कोई कोशिश करने को तैयार नहीं है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो संबंधित देश उसे ऐसा करने की छूट दे रहा है. ऐसे में राजनयिक स्‍तर पर विचार-विमर्श शुरू होता है.

अगर ना करे कार्रवाई तो क्‍या होगा?

अगर देश के सम्‍मान से जुड़े प्रतीक चिह्नों का अपमान करने वाले व्‍यक्ति या समूह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती तो कई बार दोनों के बीच कई स्‍तर पर संबंध भी खत्‍म हो जाते हैं. कई बार कार्रवाई नहीं करने पर संबंधित देश के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई करने की चेतावनियां भी दी गई हैं. वहीं, अगर संबंधित देश भविष्‍य में भी पूरी सुरक्षा देने में असमर्थता जताता है तो अपमानित होने वाला देश जस को तय की नीति भी अपना सकता है. वह कह सकता है कि अगर आप हमें सुरक्षा नहीं दे सकते तो हम भी अपने देश में आपकी संपत्तियों से सुरक्षा हटा रहे हैं.

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