क्या होती है नथ उतराई की रस्म ?
यदि आप इस खबर को पढ़ रहें तो शायद आप ने नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई दिग्गज फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली की वेब सीरिज हीरामंडी जरूर देख ली होगी, यदि न भी देखी हो तो आपने इस फिल्म में और इस फिल्म की चर्चा में एक शब्द को जरूर से सुना होगा नथ उतराई. इस शब्द का प्रयोग इस फिल्म में कई सारे सीन्स में किया गया है. तवायफों की जिंदगी, रहन सहन ,काम पर आधारित इस फिल्म में उनकी जिंदगी के हर पहलू को काफी बारीखी से उतरा गया है.
जिसमें सबसे ज्यादा दर्शकों का ध्यान खींचने का काम कर रही नथ उतराई की रस्म. ऐसे में आप इस फिल्म के माध्यम से इस रस्म कितना समझे ये तो मालूम नहीं लेकिन यदि इस रस्म को लेकर आपके मन में भी कई सवालें उठे हैं कि, ये रस्म क्या होती है, क्यों होती है, कब से शुरू हुई वगैरह – वगैरह तो इन सवालों के जवाब हम आपको इस लेख में देने जा रहे हैं. इस लेख में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं.
क्या होती है नथ उतराई की रस्म ?
सम्राटों की राजशाही, बादशाहों की सल्तन, वायसराय की हुकूमत या फिर आज की आधुनिक सरकारों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा उन घरानों से आता था जहां मोहरें, दौलत तो बेशूमार पहुंच जाती थीं, लेकिन जिस्म और आबरू लुट जाती हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं हमारे समाज के उसे हिस्से की जिसे कभी समाज ने नहीं स्वीकारा न स्वीकार पाएगा, वो हिस्सा है तवायफों का….आज हम तवायफों में होने वाली उसी नथ उतराई की प्रथा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
नथ उतराई सैकेड़ो सालों से तवायफ खानों में अपनाई जा रही एक ऐसी प्रथा है जिसे उस लड़की के साथ निभाया जाता था, जो तवायफों की दुनिया में अपना पहला कदम रख रही होती थी. तवायफ घरानों की लड़कियां जब अपनी बाल्यवस्था को छोड़कर किशोरावस्था में कदम रखती हैं तो उसकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब उसे नथ उतराई की रस्म से गुजरना पड़ता है. बताते हैं कि, जब तवायफ घरानों की लड़की जवान होने लगती है तो, उस समय कोठे पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमें नाच गाना करके रात के अंधेरे में हुस्न और शवाब के रंग बिखेंरे जाते थे और इस पूरे कार्यक्रम का केंद्रबिंदु होती थी वो लड़की जिसकी नथ उतराई की रस्म पूरी करनी होती थी.
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सबसे ज्यादा दाम देने वाले के साथ तय किया जाता था सौदा
इस रस्म में लड़की को किसी दुल्हन की तरह सजा कर बीच में बैठा दिया जाता था, इस कार्यक्रम में बाहर कई सारे रईसों को भी आमंत्रित किया जाता था. जिसमें सेठ, व्यापारी, सैनिक के साथ कई सारे रसूकदार लोग शामिल होते थे. इसके बाद कार्यक्रम में दुल्हन बनी बैठी उस लड़की की खुलेआम नीलामी की जाती थी और इस नीलामी में जो भी मर्द उस लड़की की सबसे ज्यादा कीमत देता था, उस मर्द के साथ उस लड़की का सौदा कर दिया जाता था.
इस सौदे के तय होने के बाद उस लड़की को पूरी रात के लिए उस मर्द को दे दिया जाता है और उस मर्द को अधिकार रहता था कि, वह लड़की का कौमार्य भंग कर सकता था. इस दौरान लड़की को खरीदने वाला मर्द उसे कमरे में ले जाकर सबसे पहले उसकी नाक में पड़ी बड़ी सी नथ को उतराता था और उसके बाद कभी भी तवायफ नथ नहीं पहनती थी. इस रात के बाद वह धंधा करने के लिए पूरी तरह से तैयार मान ली जाती थी और उसको एक अपना कमरा दे दिया जाता रहा.