अमेठी में KL Sharma के लिए कितनी कठिन है चुनावी डगर? जानें, क्या है इस सीट का जातीय समीकरण

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लोकसभा चुनाव 2024 में दो चरणों का मतदान पूरा हो गया है. तीसरे चरण के लिए पार्टियों से लेकर प्रत्याशियों तक, जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. इसी बीच उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में शुमार, रायबरेली, अमेठी और कैसरगंज सीट पर भी उम्मीदवारों के नामों को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग चुका है. कैसरगंज से बीजेपी ने मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके छोटे बेटे करन भूषण सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल दिए हैं.

कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है. किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के काफी करीबी लोगों में शामिल हैं. राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार में हमेशा अहम भूमिका निभा चुके हैं.

अब बात करते हैं कि अमेठी में कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को टिकट तो दे दिया है, लेकिन ऐसे कौन से फैक्टर हैं, जो किशोरी लाल को जीत के करीब या यूं कहें कि जीत दिला सकते हैं. क्योंकि किशोरी लाल शर्मा के सामने 2019 में राहुल गांधी को हराकर प्रचंड जीत दर्ज करने वालीं स्मृति ईरानी हैं. इसलिए उनके सामने चुनौती भी काफी बड़ी है.

सबसे ज्यादा OBC मतदाता

अमेठी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर सबसे अधिक आबादी पिछड़े वर्ग की है. यहां पर करीब 34 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं. इसके अलावा दलित मतदाता भी 26 प्रतिशत है. आठ फीसदी ब्राह्मण, करीब 12 फीसदी राजपूत मतदाता हैं, जबकि 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस का कोर वोटबैंक माना जाता है, ऐसे में किशोरी लाल शर्मा को मुस्लिमों का वोट मिलने के अलावा ब्राह्मण होने का फायदा भी मिल सकता है. किशोरी लाल शर्मा खत्री ब्राह्मण हैं. जो मूलरूप से लुधियाना के रहने वाले हैं.

साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटर्स

2019 के चुनाव के अनुसार, अमेठी में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख के आसपास है. जिसमें मुस्लिम वोटर्स करीब साढ़े तीन लाख है. पिछली बार के चुनाव में राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे. हालांकि स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे. जिसमें स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55120 वोटों से शिकस्त दी थी.

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अब अगर किशोरी लाल शर्मा ब्राह्मण के अलावा ओबीसी वोटर्स में सेंधमारी करने में कामयाब होते हैं तो फिर उनके चुनावी वैतरणी को पार करने में मदद मिल सकती है. क्योंकि दलित मतदाताओं के दूसरी तरफ छिटकने में इसलिए भी संशय है, क्योंकि मायावती ने भी अपना कैंडिडेट यहां से उतारा है. दलित वोटर्स को बीएसपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. अगर थोड़ा-बहुत इधर-उधर होता है तो फिर वो बीजेपी की तरफ जा सकता है, क्योंकि 2019 के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला था.

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