क्या है Delhi Ordinance Bill?
दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 लागू है, जो दिल्ली सरकार को विधानसभा और कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। साल 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें कुछ बदलाव भी किए थे। बदलावों में दिल्ली सरकार के एलजी को कुछ अतिरिक्त अधिकार भी दिए गए थे, संशोधन के मुताबिक सरकार को किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी जरूरी है।
दिल्ली सेवा अध्यादेश क्या है?
11 मई को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने 5 सदस्यों वाली संविधान पीठ पर अपना फैसला सुनाया था। फैसले के मुताबिक दिल्ली में पुलिस, जमीन और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारे फैसले दिल्ली सरकार ले सकती है और स्वतंत्रता से नियत कर सकती है। अधिकारियों और उनके कर्मचारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग भी दिल्ली सरकार अपने हित के अनुसार कर सकेगी। उपराज्यपाल को इन तीन मुद्दों को छोड़कर बाकी सारे दिल्ली सरकार के फैसलों को मानने के लिए बाध्य किया गया है। इस फैसले के पहले, दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों और उनकी स्थानांतरण पर फैसले उपराज्यपाल के पास होते थे। हालांकि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ, भारत सरकार ने 19 मई को ‘गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली आर्डिनेंस 2023’ लाकर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले की जिम्मेदारी उपराज्यपाल को वापस दे दी।
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राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की हुई स्थापना
इस आदेश के बाद, राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की स्थापना की गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव को इसका सदस्य बनाया गया है। मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे और बहुमत के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। अगर किसी आदेश पर मतभेद की स्थिति उत्पन्न होती है, तो मामले का आखरी निर्णय उपराज्यपाल का होगा।
केंद्र सरकार लाया अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट के आदेश को नामंजूर नहीं किया जा सकता था, हालांकि उसमें संशोधन किए जा सकते थे या कानून में परिवर्तन किया जा सकता था। उस समय, जब यह फैसला सुनाया गया था, संसद में सत्र नहीं चल रहे थे, ऐसे में केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर फैसले को पलट दिया। कानून के अनुसार, किसी भी अध्यादेश को 6 महीने के अंदर संसद में पारित करवाना जरूरी होता है, अन्यथा उसे कानून में बदलने के लिए। इस वजह से केंद्र सरकार ने यह बिल मंगलवार को लोक सभा में पेश किया। नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट में भी संशोधन किए गए हैं। इसके तहत, एलजी को अधिकारीयों के स्थानांतरण, पोस्टिंग के अधिकार दिए गए हैं। केंद्र सरकार दिल्ली के मामले में तय करेगी कि अफसरों का कार्यकाल, उनकी वेतन, और अन्य प्रश्नों को लेकर उनकी अधिकारिता क्या होगी। उनकी पोस्टिंग और ड्यूटी का आदान-प्रदान भी केंद्र सरकार करेगी। किसी भी पद की योग्यता, दंड और सस्पेंशन के पावर भी केंद्र सरकार के पास होंगे।”
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