रसगुल्ला के बाद 'लांगचा' को GI टैग दिलाने की कवायद शुरू

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विश्व प्रसिद्ध बंगाली मिठाई रसगुल्ले के लिए भौगोलिक पहचान (GI) टैग हासिल करने के बाद पश्चिम बंगाल का बर्दवान जिला लांगचा के लिए GI टैग हासिल करने का प्रयास करेगा। इसी साल ही बर्दवान की दो अन्य प्रसिद्ध मिठाइयों मिहिदाना और सीताभोग को केंद्र ने GI टैग दिया था।
रसगुल्ले के बाद लांगचा को जीआई टैग दिलाने की मुहिम
लांगचा को GI टैग दिलाने के लिए पूर्वी बर्दवान जिला औद्योगिक केंद्र जल्द ही केंद्र सरकार को पत्र लिखने जा रहा है। रसगुल्ला के लिए GI टैग मिलने के बाद बर्दवान के डीएम अनुराग श्रीवास्तव ने लांगचा के लिए विशेष प्रयास शुरू किया है। बता दें, लांगचा पनीर, आटे और खोया खीर से बनाया जाता है। डीएम अनुराग श्रीवास्तव ने एक अकबार से कहा ‘हमें पूरा विश्वास है कि हम शक्तिगढ़ के प्रसिद्ध लांगचा के लिए पेटेंट हासिल कर लेंगे।
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साल 1904 में बना था लांगचा
वर्ष 1904 में जब लार्ड कर्जन भारत आया था, तब बर्दवान के महाराजा विजयचंद ने भैरवचंद्र नाग को सीताभोग और मिहिदाना बनाने के लिए कहा था। इसी दौरान शक्तिगढ़ में लांगचा भी बन गया था।’ बता दें, अब यह पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया है। विदेशों में भी इसका निर्यात किया जाता है। पहले ये मिठाइयां घी में बनाई जाती थीं लेकिन अब ज्यादातर वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे तेल में तलने के बाद आठ से 10 घंटे तक चीनी के शीरे में रखा जाता है।
साभार- नवभारत टाइम्स

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