‘दीदी vs दादा’: सौरभ न मिथुन सिर्फ ‘मोदी दादा’
कोलकाता से बुद्धदेव मिश्रा
बंगाल में दीदी की हुकूमत है और यह पिछले दशक से कायम है। विपक्षी दलों की कोशिश दीदी की सत्ता को किसी दादा से टक्कर देने की है। इस कोशिश में भारतीय जनता पार्टी को सबसे आगे देखा जा रहा है। पर सवाल यह है कि आखिर यह दादा कौन होगा?
कुछ समय पहले तक लोग सौरव गांगुली को दादा की भूमिका में फिट बैठा रहे थे। पर ऐसा हो न सका। फिर मिथुन चक्रवर्ती दादा बनते दिखायी दिये। पर भाजपा ने उनको भी दादा के फ्रेम में फिट नहीं पाया।
ऐसे में बीजेपी को लगा कि दादा तो एक ही है और वो है सिर्फ मोदी दादा। बीजेपी ने बंगाल के चुनावी अभियान में लगने वाले पोस्टर्स पर भी इस बात का ऐलान कर दिया है।
मिथुन भी नहीं हुुुए दादा
भाजपा का लक्ष्य पश्चिम बंगाल में सरकार बनाना है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कमान संभाली है। वह बार-बार पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए आ रहे हैं। चुनावी सभाओं में वह ‘सोनार बांग्ला’ बनाने के लिए लोगों से ‘असली बदलाव’ की अपील कर रहे हैं।
हालांकि यहां भाजपा ममता बनर्जी के खिलाफ कोई मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं कर सकी है। शुरू से भाजपा के रणनीतिकार यहां की चुनावी लड़ाई को ‘दीदी बनाम दादा’ करने की जुगत में लगे थे, लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टक्कर देनेवाला वह ‘दादा’ नहीं मिला।
दुनियाभर में बंगाल के दादा के नाम से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को ममता के सामने उतारने की लंबी कोशिश अंत तक विफल रही। वह दादा नहीं आये तो एक और दादा अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को भाजपा ले आयी। ब्रिगेड मैदान में हुई प्रधानमंत्री की जनसभा में मंच से उन्हें फिल्मी डायलॉग से लोगों में उत्साह भरते देखा गया।
हालांकि पूर्व के नक्सल, लेफ्ट और फिर ममता से संबंधों के कारण वह भी उस ‘दीदी vs दादा’ के रिक्त स्थान के लिए सटीक नहीं बैठे। टीएमसी से ही भाजपा में आये राज्य के पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी को उस रिक्त स्थान पर बैठाने की कोशिश तो हुई, लेकिन वह नंदीग्राम में ‘बंगाल की बेटी बनाम भूमिपुत्र के लिए अधिक सटीक बैठे, जहां दोनों आमने-सामने हैं।
आखिरकार दीदी के सामने मोदी दादा-
आखिरकार, भाजपा ने उस रिक्त स्थान को अपने सबसे बड़े दादा यानी ‘मोदी दादा’ से भर दिया है। अब बंगाल में भाजपा ‘ममता दीदी बनाम मोदी दादा’ की लड़ाई के तौर पर ही इस विधानसभा चुनाव को पेश कर रही है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का उपयोग करते हुए भाजपा ने अपने पोस्टर में उन्हें ‘मोदी दादा’ कहा है। इसमें ‘vote for Modi Dada’ लिखा है। दूसरे शब्दों में, भाजपा ने दीदी ममता बनर्जी के काउंटर के रूप में ‘मोदी दादा’ को मैदान में उतार दिया है।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने लंबे राजनीतिक जीवन में ‘दीदी’ के रूप में जाना जाता है। अब मोदी ममता का सामना करने के लिए ‘दादा’ के तौर पर पेश किये जा रहे हैं।
हालांकि राज्य के राजनीतिक विश्लेषक इसे ज्यादा प्रभावी मानने से हिचक रहे हैं, क्योंकि सौरभ गांगुली को ही बंगाल के लोग ‘दादा’ कहते जाता है। मिथुन चक्रवर्ती को भी ‘दादा’ यानी ‘मिथुन दा’ पुकारते हैं।
‘वोट फॉर मोदी दादा’-
सोमवार को बंगाल में भाजपा के अभियान में ‘वोट फॉर मोदी दादा’ पोस्टर जारी होने के बाद, कई भाजपा नेताओं ने सोशल साइट पर वह पोस्टर डाला। कईयों ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर में ‘मोदी दादा’ लगा रखा है।
भाजपा के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने उसी दिन अपनी ट्विटर प्रोफाइल तस्वीर बदल दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 मार्च को फिर बंगाल दौरे पर आनेवाले हैं। मोदी उसी दिन पुरुलिया में एक सभा कर सकते हैं। मोदी 20 मार्च को भी बंगाल आएंगे। वह उस दिन शुभेंदु अधिकारी के साथ बैठक कर सकते हैं।
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