हाथरस हादसे से देश में फैली शोक की लहर, सता और विपक्ष ने जताया शोक

हाथरस हादसा

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उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो गई. अधिकारियों के मुताबिक इस हादसे में अभी तक 120 लोगों की मौत हुई है. वहीं करीब 19 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है. वहीं इस हादसे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ हाईलेवल मीटिंग कर रहे हैं, जबकि गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम को राहत कार्य के लिये भेजा गया है. इस हादसे ने दिल्ली और यूपी सरकार को भी सोचने पर विवश कर दिया है. घअनास्थल और अस्पताल में परिजनों की चीख-पुकार से माहौल कारूणिक हो गया. इस हादसे ने सबको विचलित कर दिया है. देश में शोक की लहर है. खबर है कि बुधवार को मृतकों के परिजनों से मिलने और घायलों का हाल जानने सीएम आदित्यनाथ योगी हाथरस जाएंगे. विपक्षी नेता भी वहां जाने की तैयारी में हैं.

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पीएम ने संसद में भाषण के दौरान दुख प्रकट किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज यानि मंगलवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी स्पीच के दौरान इस घटना का जिक्र करते हुए दुख प्रकट किया. इस दौरान हूटिंग कर रहे विपक्षी नेता भी शांत हो गये. वहीं इस हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा नेता डिम्पल यादव समेत कई नेताओं ने दुख प्रकट किया है. वहीं सीएम योगी ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. पीएम मोदी ने भी मृतक के परिजनों को PMNRF से 2 लाख रुपये और घायलों 50 हजार रुपये देने की घोषण की है.

सत्संग के समापन के बाद हुआ हादसा

बता दें कि संत्संग की शुरुआत सुबह 10 बजे हुई थी. वहां 1 लाख से अधिक भीड़ पहुंची थी. जब भोले बाबा सत्संग खत्म कर अपनी गाड़ी से जाने लगे तो भीड़ में कई लोगों ने उनकी गाड़ी का पीछा किया. इसके कारण अचानक से भगदड़ मच गई. निकास द्वार भी संकरे थे जिससे कम लोग ही एक बार में निकल सकते थे. लोग बेकाबू हो गये और भगदड़ मचने से सौ से अधिक लोगों की जान चली गई. .

टंकी का पानी का फैलना भी बना हादसे का कारण

मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार सत्संग स्थल के पास ही कई पानी की टंकिया मौजूद थी. वहीं उमस के कारण बाबा को सुनने आये लोग गरमी से परेशान होकर घर पहुंचने की हड़बड़ी में थे. इसी दौरान टंकी का पानी, घटनास्थल पर फैल गया जिससे मिट्टी गीली हो गई. इस कारण से भी भगदड़ की स्थिति में लोग भाग नहीं पाये. पीछे से धक्कामुक्की के कारण कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी. वहीं सत्संग स्थल पर क्षमता से अधिक भीड़ पहुंची थी. सूत्रों के अनुसार प्रशासन को चिट्ठी में अनगिनत लोगों के आने की बात बताई गई थी. चिट्ठी में स्पष्ट संख्या का उल्लेख नहीं होने के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये थे. गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान भी भोले बाबा की सत्संग में गाइडलाइन की संख्या के मुकाबले हजार गुना अधिक भीड़ पहुंच गई थी.

इससे पहले भी उत्तरप्रदेश में भगदड़ में गई है जान

4 मार्च, 2010 को प्रतापगढ के कुंडा में भी भगदड़ मची थी कुंडा स्थिति संत कृपालु महाराज के आश्रम मे थाली और कंबल वितरण के दौरान मची इसी भगदड में 63 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 10 फरवरी, 2013 को कुंभ मेले में हुई भगदड़ में 36 लोगो की जान गई थी करीब 40 लोग घायल हुए थे. 19 नवंबर, 2019 को वाराणसी में जयगुरुदेव समागम मे मची भगदड़ में थी भगदड़ 19 नवंबर 14 लोगो की मौत हुई थी जबकि 60 लोग घायल हुए थे.

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