Walking Pneumonia: पहनना न छोड़े मास्क, घातक हो सकता है वॉकिंग निमोनिया

भारत में सामने आए इसके चलते इतने मामले, जाने इससे कैसे करें बचाव

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Walking Pneumonia: विश्व से अभी कोरोना महामारी का पूरी तरह से खत्म भी नहीं हो पायी कि उससे पहले ही चीन एक बार फिर से एक बार गंभीर बीमारी का दंश लेकर आ गया है. दरअसल, चीन में बीते कुछ माह से लगातार माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीमारी से ज्यादातर बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. इस बीमारी के लगातार बढते मामलों ने एक बार चीन के साथ ही आस पास के देशों की भी चिंता बढा दी है. वहीं अब भारत में भी वॉकिंग निमोनिया के कई मामले सामने आये है.

हाल ही में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने दिल्ली में अप्रैल से सितंबर तक छह महीने में माइकोप्लाज्मा निमोनिया,
जिसे ‘वॉकिंग निमोनिया’ भी कहा जाता है, उसके भारत में सात मामलों का पता लगाया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में
पाए गए वॉकिंग निमोनिया के मामले चीन में फैल रहे श्वसन संक्रमण से फिलहाल कोई संबंध नहीं है, इसलिए आज इस लेख
में हम वॉकिंग निमोनिया के बारे में सब कुछ जानेंगे और जानेंगे इससे बचाव और लक्षण …..

वॉकिंग निमोनिया क्या होता है ?

वॉकिंग निमोनिया निमोनिया के हल्के रूप के तौर पर समझ सकते हैं. यदि आपको वॉकिंग निमोनिया है तो, आप इतना अच्छा
महसूस कर सकते हैं कि, आप किसी भी काम को बिना किसी दिक्कत के कर सकते हैं और अगर आप बीमार है तो इसकी आपको खबर तक न होगी.

निमोनिया से कैसे अलग है वॉकिंग निमोनिया ?

वॉकिंग निमोनिया और रेगुलर निमोनिया के बीच मुख्य अंतर यह है कि वॉकिंग निमोनिया हल्का होता है और इसमें आमतौर पर बिस्तर पर आराम या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं वॉकिंग निमोनिया किसी को भी हो सकता है. हालांकि, आपको वॉकिंग निमोनिया होने की ज्यादा संभावना है अगर आप –

  • 2 साल या उससे छोटे हैं
  • 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनोकम्प्रोमाइज्ड) है
  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) है
  • अस्थमा है
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर रहे हैं
  • तम्बाकू का सेवन कर रहे हैं

कितना सामान्य है वॉकिंग निमोनिया ?

वॉकिंग निमोनिया आम सी बात है, लेकिन इसके मामलों की संख्या निरंतर उतार – चढाव देखने को मिल रहा है. इसके मामले अक्सर हर तीन से सात वर्ष में बढ़ते हैं. साल के किसी भी समय वॉकिंग निमोनिया हो सकता है, किंतु यह अधिकतर पतझड़ और सर्दियों में होता है.

वॉकिंग निमोनिया के लक्षण

  • खांसी
  • सिरदर्द
  • तेज बुखार
  • छींक आना
  • गले में खराश
  • हल्की ठंड लगना
  • बहुत ज्यादा थकावट
  • सीने में दर्द या बेचैनी

वॉकिंग निमोनिया के कारण

  • बैक्टीरिया
  • वायरस
  • फंगस

कैसे फैलती है वॉकिंग निमोनिया ?

वॉकिंग निमोनिया एक संक्रामक रोग है, जब वॉकिंग निमोनिया से पीडित कोई व्यक्ति आपके पास खांसता, छींकता, बात करता, गाता या सांस लेता है तो, उनके मुंह या नाक से निकलने वाली छोटी बूंदे हवा में मिल जाती है. उसी समय आप उन बूंदों को सांस के माध्यम से यदि अंदर ले जाते हैं तो यह बीमारी आप को भी हो सकती है. इसी प्रक्रिया के चलते यह बीमारी तेजी से फैल रही है.

वॉकिंग निमोनिया का इलाज

वॉकिंग निमोनिया का उपचार उसके कारण पर निर्धारित करता है, अगर आपको यह रोग किसी बैक्टीरिया की वजह से हुआ है तो , डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं. लेकिन यदि अगर आपको एंटीबैक्टीरिया से हुआ है तो, एंटीबायोटिक दवाओं के बिना कुछ वॉकिंग निमोनिया ठीक हो सकते हैं.

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वॉकिंग निमोनिया से बचाव

  • खांसते या छींकते समय रुमाल से मुंह और नाक को ढकें, अगर टिशू नहीं है, तो अपनी आस्तीन या कोहनी में खांसें या छींकें, अपने हाथ खांसने या छींकने से बचें.
  • अपने हाथों को लगातार 20 सेकंड तक साबुन और साफ पानी से धोएं, अगर साबुन और साफ पानी नहीं है, तो अल्कोहल से बने हाथों का सैनिटाइजर प्रयोग करें.
  • श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एम्फिसीमा या अन्य पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, हार्ट, लिवर या किडनी की बीमारी है, तो बीमार लोगों के आसपास मास्क पहनें। ये परिस्थितियां वॉकिंग निमोनिया का खतरा बढ़ाती हैं।
  • हर साल वार्षिक फ्लू शॉट जरूर लें.
  • धूम्रपान न करें और अपने आसपास दूसरों को धूम्रपान करने न दें. यह फेफड़े को कमजोर कर सकता है, जो वॉकिंग निमोनिया का खतरा बढ़ाता है.
  • अन्य पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, हार्ट, लिवर या किडनी की बीमारी है, तो बीमार लोगों के आसपास मास्क पहनें.
  • हर साल वार्षिक फ्लू शॉट जरूर लें.
  • धूम्रपान न करें और अपने आसपास दूसरों को धूम्रपान करने न दें. यह फेफड़े को कमजोर कर सकता है, जो वॉकिंगनिमोनिया का खतरा बढ़ाता है.
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