वाराणसी में गर्मी और बारिश न होने के कारण महंगी बिक रही हैं सब्जियां
काशी में बारिश न होने के कारण लोगों को सिर्फ उमस व गर्मी ही नहीं बल्कि अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चिलचिलाती गर्मी के कारण सब्जियां सूख रही है. वहीं कई फसलें बर्बाद हो रही है. इसके कारण सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. सभी सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि कल यानि 25 जून के बाद मानसून बनारस समेत पूर्वांचल में दस्तक दे सकता है.
Also Read : वाराणसी की स्ट्रीट लाइट बिजली के लिए आत्मनिर्भर हो रही है
प्याज 50, आलू 30 के करीब
मंडी में सब्जियां औसत मूल्य से महंगी बिक रही है. सुंदरपुर सट्टी में आलू का भाव 30 रुपये के करीब, वहीं प्याज 40-50 रुपये किलो के बीच बिक रहा है. वहीं लहसुन 230-250 के बीच, कोहड़ा 30 रुपये तक, बैगन 50 के पार पहुंच गया है. भीषण गर्मी और बारिश न होना इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है, इससे सब्जियों के उत्पादन पर असर पड़ रहा है. हालांकि कटहल का दाम 30 रुपये से घटकर 25 रुपये किलो पर आया है. वहीं अदरक के दाम 200 से घटकर 120-140 तक पहुंच गया है.
बिक्री पर पड़ रहा है असर
सब्जी विक्रेताओं से बताया कि सब्जी के दामों में बढ़ोतरी के कारण लोग सब्जियां कम मात्रा में खरीद रहे हैं. खोजवां के सब्जी विक्रेता मंगल ने बताया कि जहां खरीदार किलो में सब्जियां खरीदता था अब वह केवल 250 या 500 ग्राम ही खरीद रहा है. वहीं उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान सब्जियों के मूल्यों में गिरावट आ सकती है. वहीं खरीदारी करने आई गृहणी सीमा ने कहा कि सब्जियों के दाम बढ़ने से घर के बजट पर असर पड़ रहा है. वहीं घर के सदस्यों खासकर बच्चों के लिये पौष्टिक सब्जियों की खरीदारी कर किसी तरह जरूरत को पूरा किया जा रहा है. .
खाद्य महंगाई दर में तीन गुना बढ़ोत्तरी
बता दें कि भारत में खाना-पीना महंगा हो रहा है. वर्ष नवंबर 2023 के बाद से खाद्य महंगाई दर 8 फीसदी के ऊपर बनी हुई है. एक साल में ही ये लगभग तीन गुना बढ़ गई है. जहां मई 2023 में 2.91% थी, जो मई 2024 में बढ़कर 8.69% हो गई. खाने का सामान कितना महंगा या सस्ता हुआ, इसे कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI) से मापा जाता है. मई 2024 में CFPI 8.69% था. इससे यह पता चलता है कि 1 वर्ष पहले जो सामान खरीदते थे, अब वही खरीदने के लिए 8.69% ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. इसे ऐसे समझिए कि अगर एक साल पहले खाने का कोई सामान खरीदने के लिए आपने 177.2 रुपये खर्च किए थे, तो अब उतना ही सामान खरीदने के लिए आपको 192.6 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.