तमिलनाडु के तुतीकोरीन में नहीं खुलेगा वेदांता कॉपर स्टरलाइट प्लांट
वेदांता को सुप्रीम कोर्ट से झटका
नई दिल्ली: तमिलनाडु के तटीय शहर तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी व्यापक चिंताओं का अंदाजा है. कोर्ट ने कहा कि उसे यह भी देखना होगा कि फैक्ट्री खुलने का लोगों की सेहत पर पर क्या असर होगा.
कोर्ट में सुनवाई के कुछ बिंदु…
– कॉपर स्टरलाइट प्लांट खोलने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले में दखल देने को इच्छुक नहीं
– तमिलनाडु सरकार के प्लांट बंद करने के फैसले को बरकरार रखा
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में कोई गलती नहीं
– SC : प्लांट में बार बार नियमों का उल्लंघन किया गया
– 2018 में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने का आदेश दिया
– आरोप लगाया कि यह सुविधा गंभीर प्रदूषण पैदा कर रही है, जिससे बीमारियाँ फैल रही हैं
– इस फैसले को बाद में अगस्त 2020 में मद्रास हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था
– अब वेदांता ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है
– गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था
-हमें आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी व्यापक चिंताओं का अंदाजा है
-हमें ये भी देखना होगा कि कारखाना खुलने से लोगों की सेहत पर क्या असर होगा
– वे सभी लोग यहां नहीं आ सकते
-लेकिन हम उनकी चिंताओं और चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की
– वहीं वेदांता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि इस प्लांट को पर्यावरण मंज़ूरी 2007 में मिली
– किसी ने उसे चुनौती भी नहीं दी
-पीठ ने कहा कि हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि आप आज ही कामकाज शुरू कर दे
– लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि एक विशेषज्ञ पैनल आपके सामने शर्तें रखे ताकि जन स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरे इस उद्योग को कैसे शुरू किया जा सके
– जैसे कि आप एक निश्चित राशि जमा करें जिससे आप पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय सुनिश्चित कर सकें
-उसके बाद यानी चिंताओं को संतुष्ट करके आप शुरुआत करें
– हम हाईकोर्ट के निर्णय में भी गलती नहीं ढूंढना चाहते
– अगर वेदांता उत्पादन के लिए आवेदन करता है तो वे बंद होने की परिस्थिति से अलग जाकर आज उद्योग की स्थिति देखनी होगी
-आप पूरी तरह से हाईकोर्ट को दोष नहीं दे सकते
– विशेषज्ञ समिति के अधिकार को भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है
– हम इसमें सख्त प्रशासनिक कानून का नजरिया भी नहीं रख सकते
– CJI ने कहा कि अगर हम इसे खुद पर लेते हुए तमिलनाडु हाईकोर्ट के आदेश को नकारते हैं और तीन साल बाद हमें पता चलता है कि प्लांट में खतरनाक रिसाव है तो नैतिक जिम्मेदारी की कल्पना करें
– श्याम दीवान ने फिर कहा कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड य, वन और पर्यावरण मंत्रालय, NEERI, वेदांता सहित अन्य विशेषज्ञों की समिति बनाने पर विचार किया जाए
– सुप्रीम कोर्ट के कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश समिति का नेतृत्व कर सकते हैं
– समिति एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट दे सकती है कि क्या वेदांता अतिरिक्त और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के साथ तांबा स्मेल्टर संयंत्र को फिर से शुरू कर सकता है ?
– वहीं तमिलनाडु सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दीवान की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि एक के बाद एक कई समिति को प्रदूषण के सबूत मिले है
– यह एक अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योग है
– इसी अदालत ने माना है कि आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण संरक्षण हितों की कुर्बानी नहीं दी जाएगी
CJI ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रूप में भी आप स्लैग और जिप्सम को हटाने में सक्षम नहीं हैं
– क्यों, ऐसा ही है ना?
– जब तक आप प्रोत्साहन के कुछ कार्य नहीं करते हैं, आपका स्लैग या जिप्सम दूर नहीं होगा
– एक समिति शर्तें तय कर सकती है और यदि शर्तें पूरी नहीं हुईं तो समिति इसके संचालन की सिफारिश नहीं करेगी