Varanasi: 2024 के वर्षाकाल में कुल 16,97,520 पौधों का रोपण लक्ष्य

जिले में वन विभाग को 2,80,000 तथा अन्य विभागों को 14,17,520 पौध रोपण की जिम्मेादारी

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varanasi: जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में जिला वृक्षारोपण समिति, जिला गंगा समिति एवं जिला पर्यावरणीय समिति की बैठक गुरुवार को जिला रायफल क्लब सभागार में हुई. जिला वृक्षारोपण समिति के अंतर्गत वर्षाकाल 2024 में जिले में वन विभाग को 2,80,000 एवं अन्य विभागों को 14,17,520 कुल 16,97,520 पौधों का रोपण लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया है. मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बैठक में उपस्थित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने-अपने विभाग को आवंटित लक्ष्य के सापेक्ष भूमि का चयन करते हुए गड्ढा खोदान की कार्यवाही पूर्ण करा लें एवं वर्षाकाल 2023 में कराये गये वृक्षारोपण की सफलता सुनिश्चित करने हेतु देखरेख, सुरक्षा, सिंचाई करें एवं पौधों की जीवितता बनाये रखें.

रोपित पौधे को क्षति न पहुंचे

प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि हरहुआ ग्राम समाज वृक्षारोपण वर्ष 2022 क्षेत्रफल-1.5 हेक्टेसयर कुल पौध 3000 के चराई के बाबत शिकायत की जाँच करायी गयी. बताया कि स्थल जल भराव से प्रभावित रहता है, इसलिए ज्यादातर अर्जुन और जामुन प्रजाति के लगभग 2500 पौधों का रोपण किया गया था. चूँकि शीत ऋतु में पौधों के विकास का जीरो ग्रोथ पीरियड होता है, जिसके कारण पौधों में अपेक्षाकृत पत्तियाँ कम होती हैं. इससे पौधों के तने ही दिखाई दे रहे हैं. निरीक्षण में पाया गया कि पौधों के तने हरे व खड़े हैं. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान वृक्षारोपण स्थल पर 15 पिलर गिरे पड़े थे, जिनको बदलवाने के साथ ही 12 पिलर के बीच तार घेरबाड़ क्षतिग्रस्त पाये जाने पर उनको सही करा दिया गया है. वृक्षारोपण क्षेत्र में पालतू जानवर व नीलगायों से क्षतिग्रस्त हुए पौधों को बदलवा दिया गया है तथा पुराने पौधों में शीत ऋतु के कारण पत्तियाँ कम प्रतीत हो रही थी, परन्तु नये कल्ले आने शुरू हो गये हैं. भविष्य में ऐसी समस्या की दोबारा पुनरावृत्ति न हो, इसके लिये संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं.

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नदी में नहीं गिरे सीवर

जिला गंगा समिति एवं जिला पर्यावरणीय समिति की समीक्षा के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने नगर निगम, जिला पंचायत राज, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वरुणा एवं अस्सी नदी में किसी भी प्रकार का सीवर का पानी न गिरे. प्लास्टिक एवं कूड़ों का निस्तारण तत्परता से किया जाय. नदियों के किनारे बनाये गये एसटीपी के अनुरक्षण का कार्य शीघ्र पूर्ण करवा लें तथा घाटों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाय एवं घाटों पर अर्पण कलश पर्याप्त संख्या में लगाया जाय.

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