Varanasi: एक देश से दूसरे देश में बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकना एक महत्वपूर्ण चुनौती

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Varanasi: वैश्वीकरण के युग में, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और आदान-प्रदान में वृद्धि के साथ, बीमारिया दूर-दूर तक तेजी से फैल सकती हैं. एक देश में स्वास्थ्य संकट दूसरे देशों की आजीविका और अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है. इसलिए 21वीं सदी में एक देश से दूसरे देश में बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकना एक महत्वपूर्ण चुनौती है. इसमें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम – 2005 बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए प्रवेश के अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं यानी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और भूमि सीमा पार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय एक वैधानिक आवश्यकता है.

गतिशील वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का प्रभावी कार्यान्वयन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधारशिला बन गया है. वर्ष 2007 से आईएचआर ढांचे को मील का पत्थर बनाने, उसके ढांचे को सुदृढ़ करने, रणनीतियों को विकसित करने और चिन्हित चुनौतियों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण यात्रा तय की है. इसके कार्यान्वयन के प्रवेश बिंदुओं (प्वोइंट ऑफ एंट्री – पीओई) द्वारा महत्वपूर्ण निभाई जा रही है, जो संक्रामक रोगों और वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के प्रवेश के खिलाफ अग्रिम पंक्ति के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं.

समीक्षा बैठक इन लोगों ने लिया हिस्सा

IHO प्वाइंट ऑफ एंट्री की वार्षिक समीक्षा बैठक प्रारम्भ उक्त बातें स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक प्रो. डॉ अतुल गोयल ने रविवार को वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर (टीएफ़सी) में आयोजित तीन दिवसीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्वाइंट ऑफ एंट्री (2023-24) की वार्षिक समीक्षा बैठक में कहीं. डॉ अतुल गोयल की अध्यक्षता एवं एलपीएआई सचिव विवेकवर्मा, संयुक्त सचिव गुलाम मुस्तफा, अपर महानिदेशक डॉ एस सेंथुनाथन, एनसीडीसी के पूर्व प्रधान सलाहकार डॉसुजीत कुमार सिंह, पीएचओकोलकाता/निदेशक एआईआईपीएच प्रो डॉ रंजन दास, आईएमएस बीएचयू डीन (शोध) डॉ गोपालनाथ, स्टेट सर्विलान्स ऑफिसर डॉ विकासेंदु अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी की उपस्थिती में बैठक का शुभारम्भ किया गया.

बैठक में देश के समस्त राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में स्थित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के प्रमुखअधिकारी, एनसीडीसी, एआईआईएचपीएच के अधिकारी व स्टेक होल्डर शामिल रहे. बैठक का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों (पीओई) के द्वाराकिए गए वर्ष पर्यंत प्रदर्शन की समीक्षा की गई. साथ ही उसमें सुधार और आकलन करने को लेकर की गहन संवाद व चर्चा की गई, जिनकी भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का अनुपालन करने के लिए पीओई में आवश्यक क्षमताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण है.

यह है पीओई का अर्थ

डॉअतुल गोयल ने कहा कि प्रवेश बिंदु (पीओई) का अर्थ वह क्षेत्र है जहां कोई भीअंतरराष्ट्रीय यात्री एक देश से दूसरे देश में कानूनी रूप से प्रवेश कर सकता है.भारत में  हवाईअड्डों, बंदरगाहोंव भूमि सीमा पर निगरानी और प्रतिक्रिया स्वास्थ्य गतिविधियों के लिए उपाय करने केलिए जिम्मेदार स्वास्थ्य इकाइयों को एपीएचओ (हवाई अड्डा स्वास्थ्य संगठन), पीएचओ (बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन) औरभूमि सीमा स्वास्थ्य इकाइयों (एलबीएचयू) के रूप में जाना जाता है.

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संयुक्त निदेशक डॉ गुलाम मुस्तफा ने कहा कि इन संगठनों का प्राथमिक उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओंके पार संक्रामक रोगों व पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी)के प्रवेश और संचरण को रोकना है, साथही यात्रियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है जो पीओई में सार्वजनिकस्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए मुख्य क्षमता की आवश्यकता को पूरा करता है. इनप्रवेश बिंदुओं पर स्वास्थ्य उपाय अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (डब्ल्यूएचओ-आईएचआर 2005) के अनुसार और भारतीय विमान (सार्वजनिकस्वास्थ्य) नियमों और भारतीय बंदरगाह स्वास्थ्य नियमों के अनुसार किए जाते हैं.

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