सामूहिक खुदकुशी मामले में गिरफ्तारी के लिए आंध्र प्रदेश जाएगी वाराणसी पुलिस

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वाराणसी के दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के देवनाथपुरा स्थित कैलाश भवन धर्मशाला में आंध्र प्रदेश के एक ही परिवार के चार लोगों की सामूहिक खुदकुशी के सनसनीखेज मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है. पुलिस ने यह मुकदमा ईस्ट गोदावरी के मंडापेट निवासी आटोमोबाइल सेंटर के मालिक पेंटगतला प्रसाद और उसके दो सहयोगियों रामिरेड्डी वीर लक्ष्मी व मल्ली बाबू के खिलाफ दर्ज किया है.

देवनाथपुरा चौकी प्रभारी संजय यादव की तहरीर पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने, धमकी समेत विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है. उधर, पुलिस की सूचना पर मृतकों के सगे-सम्बंधी वाराणसी पहुंचे हैं. शनिवार को चारो शवों के पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी है. पोस्टमार्टम व फोरेंसिक रिपोर्ट मिलने और काननू औपचारिकता पूरी करने के बाद पुलिस टीम आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए आंध्र प्रदेश जाएगी.

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आतंकियों ने सादे कागज व बंधपत्र पर करा लिये थे हस्ताक्षर

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी के कोंडा बाबू, उनकी धर्मपत्नी लावन्या, बेटे जी राजेश और जयराज ने गुरूवार को धर्मशाला के कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. जी राजेश ईस्ट गोदावरी के ही मंडापेट निवासी पेंटगतला प्रसाद के आटोमोबाइल सेंटर में काम करता था। उसने दुकान के छह लाख रूपये अपने किसी काम से खर्च कर दिये थे. इसके बाद घर के गहने आदि बेचकर जी राजेश ने दुकान मालिक को रूपये लौटा दिये थे. हालांकि पेंटगतला प्रसाद और उसके दो गुर्गों ने धमकी देकर परिवार के चारो सदस्यों से सादे कागज और बंधपत्र पर हस्ताक्षर करा लिये थे. वह 20 लाख रूपये बकाया बताकर उसे चुकता करने के लिए धमकियां देते रहे. जब भी परिवार पुलिस से शिकायत करने की बात कहता तो दुकान मालिक और उसके गुर्गे घर पहुंचकर आतंकित करते रहे. इनके आंतक से परेशान होकर परिवार ने अपनी जमापूंजी लेकर घर छोड़ दिया था और काशी पहुंच गये थे. यहां भी जब सारे पैसे खर्च हो गये और उनके पास वापसी के अलावा कोई चारा नही था तो उन्होंने लौटकर आतंक का सामना करने के वजाय मौत को गले लगा लिया।

तेलगू में लिखे सुसाइड नोट का कराया गया अनुवाद

ईस्ट गोदावरी के इस परिवार की खुदकुशी के बाद जांच के लिए पहुंची पुलिस को कमरे से तेलगू में लिखा सुसाइड नोट मिला था। उसमें परिवार अपने हालात और उन्हें आतंकित करनेवालों की कहानी और उनके नाम लिखे थे. इस पत्र को बीएचयू के प्रायोजित शोध एवं प्रौद्योगिकी परामर्श प्रकोष्ठ के डिप्टी रजिस्ट्रार दुव्यूरी वीएल केडीपी वेणु गोपाल ने हिंदी में रूपांतरित किया.

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