वाराणसीः पीएफटी फेफड़ों की बीमारियों का निदान और उपचार करने में करती है मदद

एक हजार डाक्टरों को दी गई गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्धति की जानकारी

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वाराणसीः “ब्रेथ इज़ी हॉस्पिटल, वाराणसी के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ एस के पाठक ने बताया कि “पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी)
एक विशेष प्रकार का परीक्षण हैं जो बताता हैं कि किसी व्यक्ति का फेफड़ा कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं. इस परीक्षण से फेफड़ों की मात्रा, क्षमता, प्रवाह की दर और गैस विनिमय को मापा जाता हैं. इससे चिकित्सकों को मरीज के फेफड़ों की बीमारियों का निदान करने और उपचार तय करने में मदद मिलती है.

डा. पाठक रविवार को 30 जून को ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल (अस्सी, वाराणसी) एवं आई.एम्.ए (वाराणसी चैप्टर) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चिकित्सीय संगोष्ठी में बोल रहे थे. “ रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2024 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्ररी व् वरिष्ठ श्वांस एवं टी.बी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के पाठक ने जानकारी दी कि –“ब्रेथ ईजी के प्रयास से भारत में ग्यारहवीं बार इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है .

1000 चिकित्सकों ने लिया भाग, साझा की नई जानकारियां

इस चिकित्सकीय सम्मलेन में वाराणसी एवं पूर्वांचल के 300 चिकित्सक एवं ऑनलाइन के माध्यम से देश के 10000 चिकित्सकों ने भाग लिया. सम्मेलन का उद्देश्य चिकित्सकों को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्धति की जानकारी के बारे में अवगत कराना रहा , जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बीमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके.

कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि आई.एम्.एस बी.एच.यू के निदेशक प्रोफेसर एसएन संखवार, डॉ. संदीप चौधरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी), डॉ राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज), फोर्टिस अस्पताल में श्वसन चिकित्सा के प्रमुख – डॉ प्रशांत एन छाजेड़, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के पल्मोनोलॉजी डिप्ट. के निदेशक एवं प्रमुख – डॉ विवेक नांगिया,लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च, मुंबई के चेस्ट मेडिसिन विभाग के हेड – डॉ. प्रल्हाद प्रभुदेसाई, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली के निदेशक – डॉ. दीपक तलवार, ब्रेथ इज़ी हॉस्पिटल, वाराणसी के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट – डॉ एस के पाठक, सीएमआरआई, कोलकाता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट – डॉ राजाधर, बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और राष्ट्रीय एलर्जी केंद्र (एलर्जी और अस्थमा विभाग), नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक – डॉ पी सी कथूरिया ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया.

इन दिग्गज चिकित्सकों दी ये जानकारी

”मैक्स-सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, पल्मोनरी मेडिसिन, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन, नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. स्वप्निल पाठक ने “इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी पर परिचर्चा” की. उन्होंने बताया – “इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन की अपनी मूल विशेषता से एक परिपक्व चिकित्सा उप-विशेषता है. यह विशेष रूप से नियोप्लास्टिक के साथ-साथ वायुमार्ग, फेफड़े और फुस्फुस के गैर-नियोप्लास्टिक रोगों के निदान और उपचार के लिए न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक और पर्क्यूटेनियस प्रक्रियाओं से संबंधित है. .“लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च, मुंबई के चेस्ट मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. प्रल्हाद प्रभुदेसाई ने बताया कि “सीओपीडी प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग दर से बढ़ता है .

एक बार जब यह बढ़ जाता है, तो आप सीओपीडी से फेफड़ों की क्षति को उलट नहीं सकते हैं, लेकिन एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करवा कर और जितनी जल्दी हो सके उपचार देकर, लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता हैं और मरीज को बेहतर महसूस कराया जा सकता हैं .“मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. दीपक तलवार ने जानकारी दी कि “आईएलडी के रोगियों के लिए एकल फेफड़े का प्रत्यारोपण एक बहुत ही संतोषजनक प्रक्रिया है.

हाल ही में निंटेडेनिब, पिरफेनिडोन और ट्रेप्रोस्टिनिल दवाओं को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है और इनसे रोगियों की स्थिति में सुधार देखा गया है वहीं “फोर्टिस अस्पताल में श्वसन चिकित्सा के प्रमुख डॉ प्रशांत एन छाजेड़ ने जानकारी दी कि “हाल की प्रगति में औपचारिक प्रशिक्षण का मानकीकरण, परिधीय फेफड़े के पिंडों के निदान और संभावित उपचार के लिए नए उपकरण व तकनीकें शामिल हैं. “मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के पल्मोनोलॉजी डिप्ट. के निदेशक एवं प्रमुख डॉ विवेक नांगिया ने “नैदानिक अभ्यास में अज्ञात टीबी के लिए दृष्टिकोण और प्रबंधन के बारे में” विस्तार से जानकारी दी. कहा अज्ञात टीबी से पीड़ित लोगों में टीबी विकसित होने का खतरा तब होता है जब उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है

चिकित्सा में क्रांति लाने का वादा करता है (एआई)

सीएमआरआई, कोलकाता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ राजाधर ने “श्वसन चिकित्सा में ए.आई की भूमिका” के बारे में विस्तृत जानकारी दी .बताया कि – “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिकित्सा में क्रांति लाने का वादा करता है, जिससे हमें स्वास्थ्य और बीमारी की बेहतर समझ और डेटा के आधार पर अधिक निर्णय लेने की क्षमता मिलती है.“बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और राष्ट्रीय एलर्जी केंद्र (एलर्जी और अस्थमा विभाग), नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ पी सी कथूरिया जानकारी दी कि “एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी एक विकल्प प्रदान करती है जो लगातार चिकित्सीय लाभ देती है. हाल के साक्ष्य यह भी बताते हैं कि उपचार के इस रूप से एलर्जिक राइनाइटिस को अस्थमा में बदलने और नई एलर्जिक संवेदनशीलता के विकास को रोका जा सकता है.

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“बी ई टाइम्स” का विमोचन

कांफ्रेंस उद्घाटन के बाद डा. एस के पाठक द्वारा संपादित मेडिकल पत्रिका “बी ई टाइम्स” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया, जिसमे फेफडे, एलर्जी एवं चेस्ट संबंधित कई तरह के बीमारियों के बारे में महत्व पूर्ण जानकारियां दी गई है. यह मरीज एवं चिकित्सकों को स्वास्थ्य जानकारी में लाभप्रद साबित होगी

 

 

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