13 जनवरी, शनिवार को गंगा नदी के तट पर स्थित अघोरेश्वर महाविभूति के परिसर में प्रभु राम की जननी मां महा मैत्रायणी योगिनी जी का 32वां निर्वाण दिवस भक्तिमय वातावरण में मनाया गया.
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इसको लेकर आश्रम के परिसर में साफ-सफाई की गयी थी. सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बाबा गुरुपद संभव राम ने अघोरेश्वर महाप्रभु व माता जी की समाधि पर माल्यार्पण के साथ पूजा-आरती किया. इसके बाद देशरत्न पाण्डेय ने सफलयोनि का पाठ किया. बाबा द्वारा हवन-पूजन भी कराया गया.
विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन
11 बजकर 15 मिनट पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने महा मैत्रायणी योगिनी जी को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. डॉ कमला मिश्रा, ममता सिंह, गिरिजा तिवारी, दामिनी आदि ने अपना विचार व्यक्त किया. अपर्णा एवं अल्का ने बेटियो को भ्रूण हत्या से बचाने की भावना से भावना से भरे भजन की प्रस्तुति दी. आश्रम में ही संचालित भगवान राम नर्सरी विद्यालय के छात्र वीर सैनी और छात्रा शुभदा ने भजन व मंगलाचरण का पाठ किया. गोष्ठी का संचालन अध्यापिका अनीता तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के मन्त्री डॉ. एस.पी.सिंह ने किया.
‘प्रवचन में कही जाने वाली बातों को उतारें अपने आचरण में’ – बाबा औघड़ राम
संस्था के अध्यक्ष बाबा औघड़ राम जी ने कहा कि आज मां महा मैत्रायणी योगिनी जी के निर्वाण दिवस के मौके पर एकत्रित हुए सभी लोग ने अपने अनुभवों को सबके बीच साझा किया. भजन, प्रवचन में कही जाने वाली बातों का महत्व तभी है जब हम इसे अपने आचरण में उतारेंगे. अपने अनुभवों से ही आगे बढ़ें.
आज के परिस्थितियों में महापुरुषों की बातों का अनुपालन करने से ही हम भयावह परिस्थितियों से अपने-आप को बचा सकेंगे. आगे कहा कि हमें संसार में शारिरिक, मानसिक, पारिवारिक समेत अनेकों प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है. यह बात जानते हुए कि हमारी आत्मा अजर-अमर है, फिर भी संसारिक मोह में पड़कर दुनिया का बोझ हम अपने सर लादे हुए है. जबतक हम इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अमल नहीं करेंगे तबतक हम ऊँची चढ़ाई पर लुड़कते रहेंगे.
बिना स्थिरता और एकाग्रता के ईश्वरीय तत्व की नहीं हो सकती प्राप्ति
उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बातों से हमारे जीवन की स्थिरता हिल जाती है वहीं थोड़ी सी परेशानी से हम विचलित हो जाते है. बिना स्थिरता और एकाग्रता के हम उस ईश्वरीय तत्व की प्राप्ति नहीं कर सकते. जीवन में आने का मकसद इन्ही सब कारणोँ से पूर्ण नहीं हो पाता है. हमारे आचरण व्यवहार से हमारी शिक्षा का पता चल जाता है. हमें संसार में सबकुछ करने के साथ ही अपने आत्मोद्धार के प्रति जागरुक रहना चाहिए. इसकी प्रेरणा हमें मां महा मैत्रायणी योगिनी व महापुरुषों से मिलती है. अपने कर्मों का फल हमें भोगना होगा.