वाराणसी। 3 मई यानी ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ को वो पूरी रात सो नहीं पाई। ना ठीक से खाना खाया और ना ही परिवारवालों से बात की। बस गुमशुम अपने कमरे की ओर चल पड़ी। रिजवाना तबस्सुम शांत रहती थी, लेकिन परेशान नहीं। एक पत्रकार के तौर पर चुनौतियों के सामने चट्टान की तरह डटकर खड़ी रहने वाली तबस्सुम, कैसे इतना कमजोर पड़ गई, विश्वास कर पाना मुश्किल है। रिजवाना तबस्सुम अब इस दुनिया में नहीं है। बनारस की इस होनहार फ्रीलांस जर्नलिस्ट ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
सपा नेता पर लगाये आरोप-
लोहता के हरपालपुर गांव की रहने वाली रिजवाना तबस्सुम ने घर में फांसी लगा ली। कमरे से मिले सुसाइड नोट में रिजवाना ने स्थानीय सपा कार्यकर्ता समीम नोमानी को आत्महत्या का जिम्मेदार बताया है। पुलिस ने इस आधार पर समीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत केस दर्जकर उसे गिरफ्तार कर लिया है। सीओ सदर अभिषेक पांडेय के अनुसार शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। रिजवाना ने आत्महत्या क्यों की, इसकी जांच चल रही है। उसके मोबाइल और लैपटॉप को कब्जे में ले लिया गया है।
पत्रकारिता जगत में शोक की लहर-
शहर की एक तेजतर्रार पत्रकार का यूं दुनिया छोड़ देना, हर किसी को अखर गया। रिजवाना ने पिछले कुछ सालों से फ्रीलांस जॉर्नलिस्ट के तौर पर अपनी अलग पहचान बना ली थी। वह बीबीसी हिंदी, The print, Wire और The quint जैसे धाकड़ मीडिया संस्थाओ के लिए काम कर रही थी। उसकी कई स्टोरी ने देशस्तर पर चर्चा बटोर चुकी है।
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